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महामारी के चलते अपने ही परिवार की शादी का नहीं उठा पा रहे हैं लुफ्त

जैसे कि दिल पर चोट महामारी के केस बढ़ते जा रहे हैं। वैसे ही जिले में होने वाली शादियों पर भी इसका काफी असर देखने को मिल रहा है। क्योंकि शादियों की तारीख काफी समय पहले ही तय कर दी जाती है।

इन तारीखों को बदला भी नहीं जाता है। लेकिन उसके बावजूद भी कुछ लोगों के द्वारा शादी की तारीख को पोस्टपोन कर दिया गया है। वहीं कुछ लोग सरकार के द्वारा दिए गए नियमों का पालन करते हुए शादी कर रहे हैं।

महामारी के चलते अपने ही परिवार की शादी का नहीं उठा पा रहे हैं लुफ्त

जैसे कि आप थक जाते हैं शादियों का सीजन शुरू हो चुका है। यह शादी है पहले से तय होती है और इन शादियों के लिए पहले से ही बैंकट हॉल और होटल बुक होते हैं। लेकिन जैसे ही महामारी का दौर बढ़ता गया वैसे ही प्रशासन के द्वारा गाइडलाइन जारी कर दी गई है।

जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति ओपन में कोई समारोह या शादी का आयोजन करता है तो उसमें मात्र 100 लोग ही मौजूद रहेंगे। वही अगर कोई समारोह किया शादी बंद बैंक्विट हॉल में होती है। तो उसमें 50 लोग ही शामिल हो पाएंगे।

इसी वजह से जिसके घर में शादी है। वह जब शादी का कार्ड देने के लोगों को घर जाते हैं तो उसे कहते हैं कि वह शादी में तो जरूर आएंगे। लेकिन खाना खाते ही  निकल जाए। क्योंकि प्रशासन के द्वारा या फिर पुलिस के द्वारा कब उनके यहां पर चेकिंग हो जाए।

इस बारे में उनको नहीं पता है। इसी वजह से परिवार में होने वाली शादी का लोग लुफ्त नहीं उठा पा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कई शादियां जो रात में होनी थी। उनको अब दिन में कर दिया गया है।

ताकि रात को लॉकडाउन से पहले वह परिवार की शादी का लुफ्त ले सके। प्रशासन के द्वारा रात 10:00 बजे से सुबह 5:00 बजे तक जिले में लॉकडाउन लगा दिया गया है। लेकिन अगर हम शादियों की बात करें तो देर रात तक शादी समारोह चलता रहता है।

इसी वजह से लोगों के द्वारा खाना खाने के बाद उनको घर भेज दिया जाएगा। लॉकडाउन के चलते रात 9:00 बजे के बाद किसी भी बैंक्विट हॉल में एंट्री नहीं होगी। पहले लड़का और लड़की के फेरे बैंक्विट हॉल व होटल में होते थे।

लेकिन अब फेरे वह अपने घर जाकर कर रहे हैं। क्योंकि प्रशासन के द्वारा 10:00 बजे के बाद लॉकडाउन लगा दिया गया है और फेरे जो है देर रात होते हैं। इसी वजह से 10:00 बजे के बाद ज्यादातर बैंक्विट हॉल खाली हो जाते हैं और लोग अपने घर पहुंच जाते हैं।

Avinash Kumar Singh

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