इतिहास को पलटकर एक नया अध्याय लिखा गया। ईस्ट इंडिया कंपनी। शायद ही कोई ऐसा भारतीय होगा जो इस नाम से अनजान हो। इस बात को कौन नहीं जानता है कि ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना भारत के साथ कारोबार के लिए की गई थी, लेकिन भारत की धन धान्य से भरपूर रियासतों की आपस की लड़ाई और मजबूत नेतृत्व की कमी को देखते हुए कंपनी की साम्राज्यवादी आकांक्षाएं जाग गईं और उसने भारत का इतिहास और भूगोल बदलकर रख दिया।
भारत के इतिहास में इस कंपनी का नाम काली स्याही से लिखा गया है। परंतु, अब आपको जानकर खुशी होगी कि इस कंपनी का मालिक अब एक भारतीय है। भारत समेत दुनिया के एक बड़े हिस्से पर लंबे समय तक राज करने वाली इस कंपनी के मालिक एक भारतीय उद्धमी हैं।
इसी इकाई के विरुद्ध जा कर भारतीय क्रांतिकारियों ने आज़ादी की लड़ाई का बिगुल बजाया था। अब इस कंपनी के नए मालिक का नाम संजीव मेहता है, जो भारतीय मूल के बड़े कारोबारी हैं। कभी इस ईस्ट इंडिया कंपनी के पास लाखों की फौज थी, खुद की खुफिया एजेंसी थी और तो और टैक्स वसूली का भी अधिकार था।
भारतीयों पर राज करने वाली ये कंपनी आज एक भारतीय के हाथों में आ चुकी है। 1599 में वह 22 सितंबर का दिन था जब लंदन में 21 कारोबारियों की एक बैठक हुई थी। इस बैठक में भारत के साथ कारोबार करने के लिए एक कंपनी के गठन पर विचार किया गया। उस दौर में एलिजाबेथ प्रथम ब्रिटेन की महारानी थीं।
इस कंपनी से भारत का इतिहास हमेशा से जुड़ा रहा है। यह कंपनी भी अब एक भारतीय की हो गयी है। समय का चक्का कुछ ऐसा चला कि इतने दशकों के बाद भारतीय इस कंपनी के मालिक बन गए।
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