इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जो संक्रमण है वह बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहद ही खतरनाक साबित हो रहा है, क्योंकि इस बात से सभी वाकिफ हैं कि संक्रमण उन व्यक्तियों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है जिनकी इम्यूनिटी बहुत कमजोर है,
और एक उम्र में आकर या फिर यूं कहें कि बुजुर्ग व्यक्ति की शारीरिक क्षमता प्रतिरोधक क्षमताओं के मुकाबले बेहद संवेदनशील हो जाती है। यही कारण है कि संक्रमण इस कमजोरी को अपनी शक्ति बनाकर बुजुर्गों की जाने लिलता जा रहा है।
ऐसा ही व्यापारी विनोद सिंगला के परिवार में 15 अप्रैल को उनका बेटा व भांजा कोरोना पॉजिटिव हुए। 19 अप्रैल को उनके पिता अमरनाथ (78 वर्ष) व माता शकुंतला देवी (74 वर्ष) संक्रमित हो गईं। घर के दो बुजुर्ग के संक्रमित होने पर परिवार की चिंता अधिक बढ़ गई। उन्हें 26 अप्रैल को आरएमसी अस्पताल के कोविड हेल्थ सेंटर में भर्ती कराया।
चूंकि दोनों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी थी, इसलिए सिर्फ 6 दिन में एक मई को कोरोना से जंग जीतकर अस्पताल से सकुशल घर लौट आए। विनोद सिंगला ने बताया कि इस दौरान वह संक्रमण से बचे रहे, क्योंकि उन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज ले रखी थी।
विनोद ने कहा कि एक साथ पूरे परिवार का कोरोना पॉजिटिव होना बड़ा चिंताजनक था। घर के अन्य सदस्य होम आइसोलेशन में देसी नुस्खे अपनाए। अब सभी कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं। इससे पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। भारतीय वैक्सीन संजीवनी साबित हुई है। इलाज करने वाले डॉ. राकेश राणा ने कहा कि बुजुर्ग दंपती ने वैक्सीन की एक डोज ले रखी थी, इसलिए उन्हें अधिक संक्रमण नहीं हुआ।
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