महामारी का दूसरा फेस जहां युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है। वहीं अगर भारत में तीसरा फेज महामारी का आता है। तो वह बच्चों के लिए काफी खतरनाक होगा। इसी महामारी संक्रमण को लेकर एनआईटी तीन नंबर स्थित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में एक नया शोध शुरू किया गया है।
जिसमें महामारी से ग्रस्त होने वाले बच्चों को लेकर शोध किया जा रहा है। जिसका नाम अंडरस्टैंडिंग कोविद इन इम्युन पीडियाट्रिक नाम रखा गया है।
इस शोध के माध्यम से यह जाना जाएगा की महामारी से बच्चे क्यों संक्रमित हो रहे हैं और इसका क्या बदलाव और प्रभाव उन पर पड़ेगा। इस शोध में भारत की ओर से ईएसआई मेडिकल कॉलेज के अलावा सफदरजंग अस्पताल, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली और सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट बेंगलुरू को भी शामिल किया गया है।
इस शोध के लिए जो भी फंड उपलब्ध कराया जा रहा है वह डब्लू एच ओ यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा किया जा रहा है। ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के रजिस्ट्रार डॉ एके पांडे ने बताया कि महामारी से संक्रमित मरीज ठीक होने के बाद व्यस्को मे कई तरह के परिवर्तन देखे जा रहे हैं।
उसे लेकर विभिन्न संस्थानों में शोध चल रहा है। इसी प्रकार अगर महामारी बच्चों पर मानसिक एवं शारीरिक प्रभाव डाल सकता है। इसका पता शोध के जरिए ही लगाया जा सकता है। महामारी बच्चों पर किस तरह से प्रभावित रहेगी।
इसका शोध भारत के अलावा 8 देशों में चल रहा है। जिसमें बांग्लादेश, इराक, इरान व दक्षिण अफ्रीका आदि शामिल है। डॉ एके पांडे ने बताया कि शोध के लिए 19 साल तक के बच्चों को शामिल किया जा रहा है। इस शोध में 19 साल तक के बच्चों के खून के सैंपल लिए जाएंगे। जिसमें नवजात भी शामिल होंगे।
उन्होंने बताया कि कई बार गर्भवती महिलाएं महामारी से संक्रमित हो जाती है। लेकिन डिलीवरी के बाद नवजात संक्रमित नहीं होता है। लेकिन उस नवजात पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव तो नहीं पड़ेगा।जिससे उसके विकास में कोई बाधा आ सकती है। इसी के चलते 1 वर्ष तक के बच्चों के सैंपल भी लिए जाएंगे।
उसके बाद सभी देशों के शोध के आधार की रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इस शोध के जरिए आने वाले समय में बच्चों के लिए टीका और दवाई आदि बनाने में भी काफी मदद मिलेगी। कहां जा रहा है कि अगर महामारी का तीसरा फेस भारत में आता है तो वह बच्चों को अपनी चपेट में ले लेगा।
इसीलिए इस शोध के माध्यम से बच्चों की दवाई टीका आदि तैयार किया जा सकता है और बच्चों पर महामारी का असर ना हो उससे पहले भारत पूर्ण रूप से तैयार हो जाएगा।डॉ एके पांडे का कहना है कि उनके कॉलेज को चुना गया है इस शोध के लिए या उनके गर्व की बात है।
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