इन दिनों महामारी का प्रकोप तो देश में हाहाकार मचा ही रहा है साथ में ब्लैक फंसग का खतरा भी लोगों को डरा रहा है। मास्क बेशक महामारी से सुरक्षा देता है लेकिन मास्क पहनने में लापरवाही से ब्लैक फंगस का खतरा भी खड़ा हो सकता है। माइक्रोबायोलोजिस्टों की रिपोर्ट बताती है कि बोलने के दौरान मुंह से निकलने वाली सूक्ष्म बूंदें मास्क में नमी बढ़ाती हैं। दूसरी ओर सांस लेने से इसमें फंगस पनपने लायक तापमान बन जाता है।
ब्लैक के फंगस के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। लंबे समय तक एक ही मास्क पहनने वाले मरीजों मे ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है। कपड़े का मास्क संक्रमण के लिए सर्वाधिक अनुकूल माना जा रहा है, जिसमें धूल व नमी देर तक टिकती है।
महामारी से राहत भी नहीं मिली कि एक और बीमारी ब्लैक फंसग ने जीना हराम कर दिया है। ब्लैक फंगस 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और नम मौसम में पनपता है, मास्क में ये दोनों फैक्टर मिलते हैं। ज्यादातर मरीज एक मास्क का तीन से चार दिन तक प्रयोग करते हैं। पानी पीने एवं दवा खाने के दौरान कई बार मास्क में पानी पहुंच जाता है, जिसके बाद मुंह से निकलती भाप से गर्मी पैदा होती है, जो फंगस बना सकती है।
देश सहित प्रदेश में भी ब्लैक फंगस लगातार अपने पांव पसार रही है और राज्यभर से इसके मामले सामने आ रहे हैं। इससे बचने के लिए एन-95 मास्क को भी छह से आठ घंटे में बदल देना चाहिए। सॢजकल मास्क और कपड़े का मास्क ज्यादा देर तक नमी और धूल रोकता है। धूल कणों से भी फंगस संक्रमित होने का खतरा है।
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