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सीएमआईई का खुलासा, प्रदेश का लगभग हर तीसरा युवा बेरोजगार

  सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के मई माह के आंकड़ों के अनुसार बेरोजगारी के मामले में 29.1% दर के साथ हरियाणा देशभर में दूसरे स्थान पर है। यानी प्रदेश का लगभग हर तीसरा युवा बेरोजगार है। गांवों की तुलना में शहरों में बेरोजगारी ज्यादा है। सीएमआईई के अनुसार हरियाणा में बेरोजगारी दर देश के औसत के दोगुने से भी ज्यादा है।

देश की औसत बेरोजगारी दर 11.9% है। सबसे ज्यादा 45.6% बेरोजगारी दर दिल्ली में रही। विशेषज्ञों का मत है कि कोरोना की दूसरी लहर में लॉकडाउन का प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों पर बड़ा असर हुआ।

सीएमआईई का खुलासा, प्रदेश का लगभग हर तीसरा युवा बेरोजगार

हालांकि, हरियाणा में अप्रैल की 35.1% की दर की तुलना में कुछ सुधार दर्ज किया गया है। प्रदेश में बहुत सी भर्तियां या तो रद्द हो गईं या कोर्ट में अटकी हैं। हरियाणा सर्व कर्मचारी संघ अनुसार प्रदेश में कोरोना के दौरान 1 साल 20 विभागों में कार्यरत 6,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी हुई है।

सीएमआईई के अनुसार बेरोजगारी की बड़ी वजह महामारी की दूसरी लहर, लेकिन हरियाणा में अप्रैल की तुलना में हालात में कुछ सुधार दर्ज हुआ

पीजीटी संस्कृत भर्ती: 626 पदों के लिए 2015 में परीक्षा हुई। 2019 में रिजल्ट आया। 1 वर्ष तक नियुक्ति नहीं मिली। 2021 में रद्द कर दी।

टीजीटी अंग्रेजी भर्ती: 2015 में पीजीटी अंग्रेजी के 1035 पदों के लिए भर्तियां निकली। इंटरव्यू अक्टूबर 2020 में लिए और सारी प्रक्रिया के बाद 2021 में रद्द कर दी।
जूनियर लेक्चरर सहायक भर्ती: 2017 में 61 पदों की भर्ती आरंभ हुई। नवंबर 2020 में परिणाम आया और 4 साल बाद रद्द कर दी।

आर्ट एंड क्राफ्ट टीचर्स: 2006 में 816 पदों की भर्ती हुई। 2015 में हाईकोर्ट ने इन भर्ती रद्द कर दी। सुप्रीम कोर्ट में भी मामला गया। अब पदमुक्त किए तो विवाद चल रहा है।
ग्राम सचिव भर्ती: 697 पदों के लिए जनवरी 2021 में परीक्षा हुई। पेपर लीक हुआ तोे परीक्षा रद्द कर दी।
बिजली भर्ती: भर्ती के लिए ऑनलाइन परीक्षा ली, परीक्षार्थियों ने सवाल उठाया कि सौ प्रतिशत अंक लेने के बाद भी नौकरी नहीं मिली तो और क्या करें। मामला कोर्ट पहुंच गया।

रिक्रूटमेंट एक्टिविस्ट श्वेता ढुल का कहना है कि सरकार की मंशा में खोट है। सरकार चाहती नहीं है कि प्रदेश में सरकारी नौकरियां दी जाएं। जानबूझ कर भर्तियों में कमी छोड़ते हैं और जब भर्ती कोर्ट में पहुंचती है तो सरकार के वकील समय पर जवाब नहीं देते।

सरकार लगातार एचटेट के पेपर करवाती रही, फिर कह दिया कि जेबीटी की जरूरत ही नहीं है। युवाओं के एचटेट पर पैसे क्यों खर्च करवाए।

Avinash Kumar Singh

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