हरियाणा : हरियाणा के पानीपत के अंतर्गत आने वाला बुड़शाम गांव अपने घरों में जन्म लेने वाले बेटे हो या बेटी दोनों को एकसमान अधिकार देने के चलते विख्यात हो चला है। दरअसल, इस गांव में परी का जन्म हो या फिर घर के चिराग का दोनों के लिए खुशियों में कोई कमी नही रहती। बेटी को भी समान स्थान देने का परिणाम है
जो आज इस गांव की बेटियां खेल से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ नाम रोशन कर रही हैं। वर्ष 2020 के आंकड़ों की बात करें तो लिंगानुपात में ये गांव जिले में टाप रहा है। 32 बेटों और 41 बेटियों ने जन्म लिया। यानि 1000 लड़कों के मुकाबले 1281 लड़कियां हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने उक्त गांव का नाम स्टेट अवार्ड के लिए भेजा है।
गौरतलब, इस बात से सभी परिचित है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2015 को औद्योगिक नगरी पानीपत की धरती से ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की थी।
अभियान ने लोगों पर एक स्थायी छाप छोड़ी है, जिसके परिणाम स्वरूप जन्म के समय लिंगानुपात में काफी सुधार हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक जिले का वर्ष 2016 का लिंगानुपात 912 था। वर्ष 2020 में बढ़कर ये 943 हुआ।
नेशनल स्टाइल कबड्डी में जिला से लेकर नेशनल स्तर पर जीतकर गांव व जिले का नाम रोशन करने वाली खिलाड़ी प्रियंका गुलिया बताती हैं कि उसके दो भाई हैं। पिता वीरेंद्र मोटर मैकेनिक हैं। उन्होंने बेटों और बेटी में में कोई अंतर नहीं रखा। बल्कि भाई से बढ़कर मुझे मौका दिया है। हर परिस्थिति में साथ खड़े रहते हैं। कभी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने देते।
यह गांव न सिर्फ पूरे देश के लिए एक अभिप्रेरणा का कार्य कर रहा है,बल्कि यह भी साबित कर रहा है कि यदि बेटियों को भी एक मौका दिया जाए तो दंगल का अखाड़ा हो या फिर मिस इंडिया का ताज अपने सर सजा कर पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बना कर न सिर्फ अपने माता पिता बल्कि पूरे गांव का सर गर्व से ऊंचा कर सकती है।
एक तरफ जहां शहरो में बड़ी बड़ी बिल्डिंग में पढ़ने वाले बच्चों में भी इतना ज्यादा प्रतिभा देखने को नहीं मिलेगी, जो इस गांव से निकले बेटे और बेटियों में देखने को मिल रही है।हम सबको इस गांव की एकता और जागरूकता से कुछ सीखना हो ताकि एक दिन इस गांव की तरह पूरा देश भी बेटे और बेटियों के बीच के भेदभाव को समाप्त करने में सक्षम साबित हो।
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