एक इंसान को नाम व पहचान बनाने के लिए पूरी जिंदगी गुजर जाती है, वही पल भर की गलती और पलक झपकते ही उम्र भर का संघर्ष धूमिल हो जाए पता ही नहीं चलता। खासकर जब बात हो किसी राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने की तो मेहनत क्या होती है उसकी वास्तविकता का पता चलता है। मगर जब वहीं नाम और पहचान छीनता है तो इंसान टूट कर बिखर जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ ओलिंपिक में 2 बार के मेडलिस्ट व खेल रत्न से सम्मानित पहलवान सुशील कुमार के साथ भी
एक समय था जन पहलवान सुशील कुमार अपनी प्रसिद्धि के चलते कभी सुरक्षा के घेरे में रहा करते थे।
बदलते समय के साथ अब वही पहचान वांटेड सुशील की हो गई, जो गिरफ्तारी से बचने के लिए भागता है। पकड़े जाने पर मुंह छिपाने को आतुर हो गया है। आलम यह है कि आज सुशील को आज अपनी खुराक के लिए कोर्ट तक जाना पड़ा, लेकिन वहां भी अर्जी मंजूर नहीं हुई। यह सिर्फ इसलिए नहीं कि वह जूनियर नेशनल पहलवान के अपहरण व हत्या का आरोपी है, बल्कि दावा किया जा रहा है कि उसका गठजोड़ बड़े बदमाशों के साथ है।
इस तरह की बदनाम पहचान वाला अकेला पहलवान सुशील ही नहीं, बल्कि करीब 20 ऐसे बड़े नाम हैं, जो खेलों की सम्मानजनक जिंदगी छोड़कर अपराध की दुनिया में घुस गए और वहां से वापसी का रास्ता भूल गए। इसलिए चैंपियन के बजाय अकसर पुलिस की वांटेड लिस्ट में उनका नाम शुमार होता है। इनमें से किसी ने मजबूरी तो किसी ने शौक से हथियार उठाए।
कुक्की गैंग का सरगना सन्नी देव उर्फ कुक्की नेशनल स्टाइल कबड्डी का स्टेट चैंपियन रहा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के लिए वह मेहनत कर रहा था कि तभी उसने हलालपुर विजय उर्फ बौदा गैंग के संपर्क में आया। उसके खिलाफ रोहतक, सोनीपत, जींद, पानीपत सहित जिलों में 11 मामले दर्ज हैं।
भटगांव का संजीत उर्फ घोलू कुश्ती में नाम कमा रहा था। इसमें उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली तो कुक्की गैंग में शामिल होकर शार्प शूटर बन गया। इसके खिलाफ पानीपत, रोहतक, सोनीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र, जींद और सिरसा सहित कई जिलों में हत्या सहित कई संगीन मामले दर्ज हैं।
जितेंद्र उर्फ गोगी वालीबॉल का राष्ट्रीय खिलाड़ी था। खेल में सम्मान के बीच गोगी का उठना-बैठना बदमाशों के साथ हो गया। खेल से ध्यान हट गया और अपराध में दिलचस्पी बढ़ती गई। अब उस पर भी छह से अधिक केस दर्ज हैं।
हरियाणा क्रिकेट टीम में खेल चुके सुरजीत को पुलिस ने रंगदारी मांगने के मामले में पकड़ा था। पानीपत के गांव बुड़शाम का यह युवा ऑलराउंडर था। उसने दो साल तक रोहतक के लाहली में तेज गेंदबाजी व बल्लेबाजी सीखी। प्रदेश की टीम में खेलने का मौका मिला। आर्थिक तंगी के चलते अपराध की आसान दिखने वाली गलत राह पकड़ ली।
अंतरराष्ट्रीय रग्बी खिलाड़ी परमीत आर्थिक तंगी के चलते अपराध में फंस गया। दिल्ली पुलिस ने हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया। पुलिस का दावा था कि परमीत दिल्ली के कुख्यात सोनू दरियापुर गैंग के लिए काम करता है। परमीत को ऑपरेशन कराना था। उस समय कुछ रुपयों का लोन लिया था, लेकिन चुका नहीं पाया। इसलिए अपराधी बन गया।
ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार पर हत्या और अपहरण के केस दर्ज हैं। उसका गठजोड़ कई बड़े अपराधियों के साथ भी बताया जा रहा है। अर्जुन अवाॅर्ड से सम्मानित एशियाड पदक विजेता जयभगवान पर मारपीट से लेकर रिश्वत लेने तक के आरोप हैं। गिरफ्तारी तक हो चुकी है।
कबड्डी के नेशनल चैंपियन रोहतक के रिठाण गांव के सन्नी देव उर्फ कुक्की पर हत्या, लूट, डकैती के एक दर्जन से ज्यादा मामले हैं।
अलीपुर गांव का जितेंद्र उर्फ गोगी वालीबॉल का राष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ी। अब गोगी गैंग में उसकी खूब चलती है। डल्लू पहलवान ने खेल के दम पर रेलवे की नौकरी हासिल की। बाद में सरपंच के मर्डर मामले में जेल में गया। सोनीपत के पलड़ा का अक्षय भी उभरता पहलवान था। वह लाॅरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ा है और एक दर्जन हत्या व लूट के मामले दर्ज हैं। गांजबड़ का सोनू कबड्डी का नेशनल चैंपियन था। इंटर काॅलेज व ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में भी पदक जीते। अपराध की दुनिया में शामिल हुआ तो अब सलाखों के पीछे है।
स्टेट कुश्ती चैंपियन सतीश कुमार का गठजोड़ गैंगस्टर विकास के साथ है। खेल से सिक्योरिटी गार्ड के रूप में शुरू की थी जिंदगी। लेकिन तंगहाली में गलत दिशा में भटक गया।
कुश्ती डिस्कस व जैवलिन थ्रो का स्टेट चैंपियन सोनीपत के भटगांव का संजीत उर्फ घोलू कुक्की गैंग का शार्प शूटर बन गया। 2017 में पानीपत में पहलवान सतबीर की हत्या करने का आरोप है। विक्की बॉक्सर जूनियर नेशनल बॉक्सिंग में स्वर्ण पदक विजेता रहा है, लेकिन आज अपराध की दुनिया में दखल है। उस पर कई केस दर्ज हैं।
रोहतक के बहू अकबरपुर के संजीत बिदरो ने भी पहलवानी छोड़कर गैंगस्टर की राह पकड़ी।
भारत की जूनियर बॉक्सिंग टीम का हिस्सा रहे दीपक पहल भी गैंगस्टर के संपर्क में रहा। उस पर गैंगस्टर को पुलिस हिरासत से भगाने का आरोप है।
राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी प्रमोद पर गाड़ियों की चोरी से लेकर फिरौती मांगने के भी आरोप है।
बतौर खिलाड़ी जो रूतबा और सम्मान हासिल होता है, उससे खिलाड़ी का खानपान एवं रहन-सहन सब मेनटेन होता है, लेकिन जब वह खेलों से किसी कारण दूर होने लगता है तो यह सब भी दूर होता जाता है। तब वे वापसी के लिए शरीर से पूरी मेहनत के बजाय शार्टकट को खोजते हैं। यही खोज उन्हें अपराध जगत में दाखिल करा देती है। इसमें रूतबे के साथ पैसा तो है, लेकिन यह रास्ता जीवन को खुशहाल बनाने के बजाय बर्बाद करने वाला है। इसके अतिरिक्त जब पात्र होने के बाद भी अनदेखी होती है तो बिना सही मार्गदर्शन भी खिलाड़ी भटककर गलत रास्ता चुल लेता है।
आरएस खोखर, द्रोणाचार्य अवाॅर्ड विजेता।
खिलाड़ी अपराध की ओर क्यों आकर्षित हो रहे हैं, यह जानने के लिए सबसे पहले उनकी मनोस्थिति को जानना होगा। देखना होगा कि देश के लिए मेडल जीतने के अलावा क्या सामान्य जीवन में उनका व्यवहार विनम्र है? क्या समाजिक कार्यों में उनकी भूमिका सकारात्मक है? यदि नहीं तो फिर उन्हें सबसे पहले मनोवैज्ञानिक की जरूरत है,
क्योंकि कोई भी खिलाड़ी सिर्फ पदक जीतने से महान नहीं बनता, उसका व्यक्तित्व महान बनाता है। सचिन तेंदुलकर व मोहम्मद अली खेल नहीं रहे, फिर भी आदर्श हैं। योग-मेडिटेशन, आधात्यम एवं काउंसिलिंग की जरूरत है।
अखिल कुमार, ओलिंपियन, अर्जुन अवाॅर्डी
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