हमने देखा है कि किसान फसल की पैदावार को बढ़ाने के लिए नित-नए प्रयोग करते रहते हैं। कई बार उन्हें लाभ होता है तो कई बार नुक्सान। अब धान की खेती करने वाले किसानों को डबल मुनाफ कमाने का मौका मिल सकता है। इसके लिए उन्हें खास तरह से धान की खेती करनी होगी। इस खास तरह की खेती को फिश-राइस फार्मिंग कहते हैं।
देश में काफी समय से कई किसान इस प्रक्रिया के तहत धान की खेती कर रहे हैं और मोटा कमा रहे हैं। इस तरह की खेती में धान के साथ-साथ मछली पालन का भी काम हो जाएगा। इससे किसानों को धान के दाम तो मिलेंगे ही, साथ में उन्हें मछली बिक्री से भी लाभ मिलेगा। खास बात है कि धान की खेत में मछली पालने से इसकी पैदावार भी अच्छी होगी।
धान के खेत में मछलियों की उपस्थिति से मृदा की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। फिलहाल इस तरह की खेती चीन, बांग्लादेश, मलेशिया, कोरिया, इंडोनेशिया, फिलिपिंस, थाईलैंड में होती है। भारत के भी कई इलाकों में फिश-राइस फार्मिंग की मदद से किसान दोगुनी कमाई कर रहे हैं। मछलियों की भोजन खोजने सम्बन्धी गतिविधियों के कारण पानी में घुलनशील ऑक्सीजन की सान्द्रता बढ़ती है। धान के खेतों में पाए जाने वाले घोंघो को मछलियों द्वारा नियन्त्रित किया किया जा सकता है।
खेती की तरफ जो लोग आ रहे हैं उन्हें सरकार का पूरा सहयोग दिया जा रहा है। सरकार ऐसे लोगों की मदद करने को तत्पर रहती है। इस तरह की खेती में धान की फसल में जमा पानी में मछली पालन का भी काम होता है। इस प्रकार किसानों को धान और मछली की बिक्री से दोगुनी कमाई होती है। किसान चाहें तो धान से पहले ही मछली का कल्चर तैयार कर सकते हैं। इसके अलावा किसान चाहें तो मछली कल्चर खरीद भी सकते हैं।
किसानों को पिछले कुछ वर्षों के दौरान खेती-बाड़ी में मोटा मुनाफा होने लगा है। किसान को अब अपनी मेहनत के दाम मिलने लगे हैं। इस तरह की खेती में एक ही खेत में मछली व दूसरे जलजीवों को एक साथ उपजाया जाता है। आमतौर पर इससे धान की उत्पादन पर भी कोई असर नहीं पड़ता है। एक ही खेत में एक साथ मछली पालन से धान के पौधों में लगने वाली कई बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है।
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