Categories: Trending

अद्भुत रहस्य: काला बच्चा पाने के लिए यहाँ की महिलाऐं करती हैं ऐसे खतरनाक काम.. जानिए वजह

दक्षिण अफ़्रीका का नाम लेते ही जेहन में अश्वेत लोगों का समाज उभरता है। हालांकि यहां विविधरंगी संस्कृति और हर नस्ल के लोग एक साथ रहते हैं। इसे दुनिया भर में नेल्सन मंडेला के सतरंगी देश के तौर पर भी जाना जाता है, जहां हर किसी को अपनी विरासत और संस्कृति पर गर्व है। लेकिन अब इन्हीं लोगों में गोरा होने की चाहत बढ़ रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ केपटाउन में हाल में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट बताती है कि हर तीन में एक दक्षिण अफ़्रीकी महिला अपनी त्वचा को ब्लीच करा रही है क्योंकि वे गोरी दिखना चाहती हैं।

स्थानीय संगीतकार नोमासोंटो मसोजा मनीसी ने अपनी त्वचा को हल्के रंगों में ब्लीच कराने के बाद कहा कि नई त्वचा में वे काफी सुंदर लग रही हैं और उनमें आत्म विश्वास भी बढ़ा है। मनीसी ने कहा, कि मैं कई सालों तक काली थी, लेकिन मैं ख़ुद को दूसरे रंग में देखना चाहती थी और अब थोड़ी गोरी हो गई हैं ब्लीच करा चुके हैं, जिससे मैं ख़ुश हूं। लेकिन अब जो ख़बर हम आपको बताने जा रहे हैं, उसे सुनकर आप हो जाएंगे हैरान क्योंकि, यहां महिलाओं को अपने बच्चे काले रंग के चाहिए, ऐसा क्यों, यही पूरी जानकारी हम आपको देने जा रहे हैं।

अद्भुत रहस्य: काला बच्चा पाने के लिए यहाँ की महिलाऐं करती हैं ऐसे खतरनाक काम.. जानिए वजह

अब हम एक समुदाय के बारे में बताने जा रहे हैं जहा पर जन्म लिया हुआ एक भी बच्चा अगर काले रंग के अलावा हल्का साफ़ या गोरा पैदा होता है तो उसे मर दिया जाता है और इसके पीछे छुपा हुआ रहस्य यह है की इस समुदाय को यह लगता है की यह बच्चा इस कूल का इस समुदाय का नहीं है।

यह परंपरा अंडमान के रहने वाले आदिवासी समाज वाले करते हैं और अंडमान की पुलिस इस बात से बहुत परेशान रहते हैं क्यूंकि वो शिकायत का एक्शन लें या फिर इस ट्राइब में चलने वाली परंपरा की गरिमा को बनाये रखें।यहाँ जन्म लेने वाला हर बच्चे का रंग सिर्फ और सिर्फ काला ही होना चाहिए।

यहां के लोगों को काला बच्चा पैदा करने के अलग अलग तरीके और नुश्के अपनाने पड़ते हैं और यहाँ तक काला बच्चा पैदा करने के लिए इन्हें जानवरों का खून पीना पड़ता है और इसके पीछे का कारन यह है की जानवरों का खून अगर किसी गर्ववती महिला को पिलाया जाए तो बच्चे का रंग गाढ़ा हो जाता है और वह जन्म से ही काला पैदा होता है।

यह जनजाति और समाज को जारवा समुदाय के नाम से जाना जाता है। और यहाँ तक की जब किसी भी बच्चे को यहाँ जन्म दिया जाता है तो यहाँ मौजूद समुदाय के हर महिलाओं को उस बच्चे को स्तनपान करवाना पड़ता है। ताकि वह बच्चा समुदाय के लोगों से भिन्न न रह जाए।

अब देखने में बात ये सामने आती है कि इस तरह से लोग अपनी ज़िंदगी को अपने हिसाब से आधार मानकर आगे बढ़ाते हैं। सभी के मुताबिक, सभी को अपनी ज़िंदगी को अपने हिसाब से आगे बढ़ाने का हक़ होता है, लेकिन ये क्या यहाँ तो लोग एक अलग ही सोच के साथ बच्चे को उसके रंग को लेकर अलग ही जिज्ञासा रहती है।

Avinash Kumar Singh

Recent Posts

ओम योग संस्थान ट्रस्ट ने हर्षोल्लास के साथ अपना अपना 26 वां वार्षिक उत्सव

ओम योग संस्थान ट्रस्ट, ओ३म् शिक्षा संस्कार सीनियर सेकेण्डरी स्कूल पाली , फ़रीदाबाद, हरियाणा, भारत…

4 weeks ago

एचिस्टा 2K24: संगीत, कला और प्रतियोगिता से भरपूर दूसरा दिन

ऐशलॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, फरीदाबाद में आयोजित वार्षिक तकनीकी-सांस्कृतिक-खेल उत्सव, एचिस्टा 2K24 का दूसरा दिन…

1 month ago

एचिस्टा 2K24: ऐशलॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में नवाचार, संस्कृति और रचनात्मकता का शानदार समापन

एचिस्टा 2K24 का भव्य समापन ऐशलॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में हुआ, जो तीन दिनों की…

1 month ago

ऐशलॉन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, फरीदाबाद का ECHIESTA 2K24 उद्घाटन समारोह: एक शानदार शुरुआत

फरीदाबाद के ऐशलॉन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में तीन दिवसीय "ECHIESTA  2K24" का आज उद्घाटन हुआ।…

1 month ago

IMT मेंं पांच दिन करेंगे सिहोर वाले प्रदीप मिश्रा भगवान शिव का गुणगान,सजा पंडाल

बल्लबगढ़ स्थित सेक्टर-66 आईएमटी फरीदाबाद में लगभग 80 एकड़ में होने वाली पांच दिवसीय शिव…

2 months ago

केंद्रीय विद्यालय संगठन ने आयोजित किया ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता

विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु दृढ़ संकल्प को मन,वचन व कर्म से निभाते हुए विभिन्न…

3 months ago