वैसे तो हमारा हरियाणा खुदको आज तक पुरुष प्रधान सोच के चलते अपना नाम विख्यात करता आया है। मगर बदलते वक्त के साथ अब ना सिर्फ लोगों की सोच बदल रही है बल्कि वह नए सोच को अपनाने के साथ साथ आने वाली पीढ़ी के लिए भी अभिप्रेरणा का कार्य कर रहे हैं। ऐसा ही एक अभिप्रेरित कार्य हरियाणा के भिवानी जिले के अंतर्गत आने वाले झुम्पा कलां गांव में देखने को मिला जहां घोड़ी पर दूल्हे की तरह सजी-धजी बैठी बेटी प्रवक्ता अनीता नेहरा, जब उनकी निकासी (बनवारा) गांव की गलियों से गुजरी तो ग्रामीण घर से बाहर निकल कर मंगल गीत गाते हुए बेटी को दूध पिला कर आशीर्वाद दे रहे थे। गांव में पहली बार लड़की का बनवारा घोड़ी पर निकलने पर गांव में चर्चा बनी है। गांव वाले बेटी को आशीर्वाद दे रहे थे।
दरसप, अनीता की आज यानी कि 15 जुलाई को शादी है। लड़की के पापा रिटायर्ड अधीक्षक दर्शनानंद नेहरा ने बताया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत उनकी तरफ से यह पहल की गई है ताकि लोग समाज में लड़कियों को मान-सम्मान दें। लड़का-लड़की में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता है। हमने बेटी को बेटे की तरह ही पाला है। उन्होंने हमेशा ही लड़कियों को लड़कों से बढ़कर माना है। इसी स्वरूप आज उनकी तीनों बेटियां उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर वेल सेटल्ड हैं।
अनीता की 15 जुलाई को शादी है। लड़की के पापा रिटायर्ड अधीक्षक दर्शनानंद नेहरा ने बताया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत उनकी तरफ से यह पहल की गई है ताकि लोग समाज में लड़कियों को मान-सम्मान दें। लड़का-लड़की में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता है। हमने बेटी को बेटे की तरह ही पाला है। उन्होंने हमेशा ही लड़कियों को लड़कों से बढ़कर माना है। इसी स्वरूप आज उनकी तीनों बेटियां उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर वेल सेटल्ड हैं।
अनीता ने अपनी शादी से पहले घोड़ी पर बनवारा (निकासी) निकालकर एक नई पहल की। दहेज प्रथा व कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुरीतियों को छोड़कर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश देते बेटी ने घोड़े पर बैठकर बाना (निकासी) निकाला। बेटी अनीता ने कहा कि उनको मम्मी-पापा पर गर्व है। वह चाहती हैं हर माता-पिता बेटी को बेटों के समान ही सम्मान दें। इस अवसर पर सुनील नेहरा, आजाद सिंह पटवारी, हवलदार लोकराम, अधिवक्ता करण सिंह नेहरा, रामसिंह, महेंद्र, भीम सिंह, विजय श्योराण, प्रवीण नेहरा, प्रदीप, रामपाल, विकास, मनोज, हवलदार कांता रानी, प्रवक्ता रचना कुमारी आदि शामिल रहे।
बता दें कि हरियाणा के भिवानी जिले के कई गांव में पहले भी ऐसी रस्में निभाई गई हैं। एक शादी में अपनी दोनों बेटियों का बनवारा घोड़ी पर बैठाकर निकाला गया था। बेटियों को इतनी प्राथमिकता देने वाला यह पहला जिला है जिसमें विवाह की रस्म को बदला जा रहा है। विवाह से पहले जब बेटे को लेकर हल्दी आदि की रस्म की जाती है तो वह परिवार में ही किसी के यहां नहाता और खाना खाता है। फिर वहां से अपने घर आता है और साथ में गीत गाती हुई कई सारी महिलाएं होती है और ढोल भी बजाया जाता है। इस रस्म को बनवारा कहते हैं।
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