खोरी गांव के टूटने के साथ-साथ अब एक बड़ी खबर सामने आ रही है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन को फटकार लगाई है और कहा है की जितने भी अरावली वन क्षेत्र में निर्माण है वह सभी के सभी अवैध हैं और वह सभी फार्म हाउस जल्द से जल्द हटाया जाए।
खोरी गांव के बाद दूसरी बड़ी चुनौती प्रशासन के सामने अवैध फार्म हाउस तोड़ने की आ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लेते हुए सभी बड़े-बड़े फार्म हाउस में सभी अतिक्रमण पर कड़ी कार्रवाई का आदेश प्रशासन को दिया है। सभी फार्म हाउस जल्द ही प्रशासन द्वारा ढाये जाएंगे।
खोरी गांव में डेढ़ सौ एकड़ का अतिक्रमण था जो कि प्रशासन ने 74 एकड़ का अतिक्रमण हटा लिया है। जब सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन से पूछा कि इतनी देर क्यों लग रही है तो प्रशासन ने और समय मांगा जिस पर कोर्ट ने 4 हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है।
समय देने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अरावली वन क्षेत्र में कोई भी अतिक्रमण ना रहे इसकी पुष्टि प्रशासन स्वयं करे। अब आपको पूरा प्रकरण वीडियो के माध्यम से बताते हैं
150 एकड़ में फैला और 10,000 घर टूटने का फरमान इन सब आंकड़ों को सुनकर आप समझ ही गए होंगे कि हम बात करने वाले हैं जी हां सुर्खियों में रहने वाले खोरी गांव की। 7 जून को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए की अरावली वन क्षेत्र में बसे खोरी गांव को हटाया जाए।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही सभी गांव वासियों में अफरा-तफरी मच गई और लोग डर के साए में जीने लगे। दिन प्रतिदिन लोगों को डर सताने लगा ना जाने कब उनके आशियाने पर कानून का पंजा चल पड़े। कई सामाजिक संगठन खोरी गांव को बचाने के लिए सामने आए और गांव वासियों से मुलाकात कर उनके दर्द को साझा किया।
फिर 30 जून को अलग अलग सामाजिक संगठनों ने खोरी गांव में महापंचायत रखी गई है, इस महापंचायत में किसान नेता गुरु नाम सिंह चढूनी अपने दल के साथ खोरी पहुंचे जहां पर फैसला लिया गया कि हम अपनी जगह छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।
6 जुलाई को खोरी गांव द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय का घेराव करने के लिए जंतर-मंतर पर इकट्ठे हुए जहां पर सुरक्षाबलों द्वारा वहीं रोक दिया गया। फिर एक खबर आई की 8 जुलाई को खोरी गांव वासियों के साथ पूर्व सांसद डॉ उदित राज प्रधानमंत्री कार्यालय का घेराव कर रहे थे
जहां जंतर मंतर पर पुलिसकर्मियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अलग अलग संगठन खोरी गांव वासियों के लिए पुनर्वास की मांग कर रहे थे।
वहीं 8 जुलाई को निगमायुक्त गरिमा मित्तल, डीसी यशपाल यादव और अंशुल सिंगला ने शाम के समय खोरी गांव को लेकर प्रेस वार्ता की जहां पर लोगों को पुनर्वास के लिए बोला गया। तोड़फोड़ की खबर आते ही नहीं पूरे गांव में हलचल सी मच गई इसको लेकर 13 जुलाई को अधिकारियों ने खोरी गांव का जायजा लिया।
फिर वह दिन आ ही गया जो खोरी गांव वासियों ने सपने में भी नहीं सोचा था। नगर निगम अपने पूरे दस्ते के साथ अपनी जेसीबी मशीनें और सारे अधिकारियों के साथ पहुंचने लगे। जहां पर गांव वासी सदमे में आ गए। नगर निगम ने धीरे धीरे घरों को तोड़ना शुरू किया और अब 150 एकड़ में से 74 एकड़ का अतिक्रमण हटाया जा चुका है।
प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए और समय मांगा तो सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन के आग्रह पर 4 हफ्ते का समय और दे दिया है लेकिन खोरी गांव वासियों के साथ साथ वह अन्य जगह भी तोड़ी जाए जो अरावली वन क्षेत्र में आती है चाहे वह अवैध फार्म हाउस हो या कोई अन्य अतिक्रमण।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन को फटकार लगाई है और का संज्ञान लेते हुए कहां है कि इन पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना प्रशासन कब तक करता है यह तो देखने वाली बात होगी परंतु बड़ी खबर यह है कि खोरी गांव में जितने भी अवैध फार्म हाउस हैं उन पर भी प्रशासन का पीला पंजा चलेगा और सारे के सारे अवैध निर्माण हटाए जाएंगे।
साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अरावली वन क्षेत्र में कोई भी अतिक्रमण ना रहे इसकी भी प्रशासन पूर्ण रूप से पुष्टि करें। सुप्रीम कोर्ट खोरी मामले का पूर्ण रूप से संज्ञान ले रहे हैं और जल्द से जल्द अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन को फटकार लगाई है।
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