आमतौर पर हमें लगता है कि सड़क किनारे ठेले वाले बहुत ही गरीब होते हैं। इनके पास पैसों की कमी होती है इसलिए यह काम करते हैं। लेकिन अब यह धारणा आपकी बदल जाएगी। कानपुर शहर यूं तो क्राइम, ठग्गू के लड्डू और अपनी बेबाक बोली के लिए मशहूर है लेकिन इस बार इस शहर के लोगों ने एक और कारनामा कर दिखाया है। कानपुर में सड़क किनारे ठेला या खोमचा लगाकर पान, खस्ते, चाट और समोसे बेचने वाले 256 लोग जांच में करोड़पति निकले हैं।
इतना पैसा तो कोई प्राइवेट नौकरी वाला भी नहीं कमा पाता जितना यह लोग ठेला लगाकर कमा रहे हैं। कानपुर में सिर्फ ठेले वाले ही नहीं, छोटी-छोटी किराना की दुकान चलाने वाले और दवा व्यापारी भी करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं। जांच में सामने आया है कि फल बेचने वाले कई लोग भी सैकड़ों बीघा कृषि जमीन के मालिक हैं।
हम सभी को इनके यहां का खाना बहुत ही पसंद आता है। ठेलों से समोसे, चाट-पकौड़ी, जलेबी, चाऊमीन, मोमोस आदि तो हम सब खाते है। बिग डेटा सॉफ्टवेयर, आयकर विभाग और जीएसटी रजिस्ट्रेशन की जांच में ऐसे 256 लोग सामने आए हैं जो कि ठेला लगाकर घर चला रहे हैं लेकिन असल में करोड़पति हैं। यहां ऐसे कई कबाड़ी हैं जिनके पास तीन-तीन कारें हैं और वे भी सभी SUV हैं। हालांकि ये अलग बात है कि इतनी संपत्ति और कमाई होने के बावजूद ये लोग इनकम टैक्स नहीं भर रहे हैं।
शाम को इन ठेलों पर कुछ घंटे रहने वाली रौनक से ये लोग कितना पैसा कमा लेते हैं कि आप सोच भी नहीं सकते हैं। आयकर विभाग और GST इसे लोगों की तलाश कर रहा है जो कि खुद को गरीब दिखा रहे हैं लेकिन असल में करोड़ों के मालिक हैं। टैक्सपेयर्स की मॉनिटरिंग के अलावा आयकर विभाग ने इस बार गली-मोहल्लों में किराना दुकान चला रहे, ठेला लगा रहे या मेडिकल स्टोर चला रहे लोगों की भी जांच की है।
यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। कई लोगों को तो भरोसा ही नहीं हो रहा। आयकर विभाग के मुताबिक़ बिग डेटा सॉफ्टवेयर तकनीक के इस्तेमाल से अब इन जैसे लोगों का बचना नामुमकिन हो गया है। ये ख़ुफ़िया करोड़पति लगातार संपत्तियां खरीद रहे हैं और GST रजिस्ट्रेशन से बाहर हैं।
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