भारत मे खिलाड़ियो की कोई कमी नहीं है। भारतीय खिलाड़ियों ने पूरी दुनिया मे अपना लोहा मनवाया है। सबको खिलाड़ियो की जीत तो नज़र आती है परंतु लोग अक्सर उस जीत के पीछे के त्याग, संकल्प, और उस मेहनत को भूल जाते है जिसकी वजह से खिलाड़ी उस मुकाम पर पहुँचे है। कुछ खिलाड़ियो का खेल के प्रति लगाव इतना ज़्यादा होता है, कि वह पूरी तरह से अपने आप को खेल के प्रति समर्पित कर देते है कि वह सब कुछ भूल जाते है।ऐसी ही कहानी है हरियाणा की पहलवान सोनम की।
आपको बता दे कि 19 साल की सोनम इस बार टोक्यो ओलंपिक्स मे अपनी दावेदारी पेश करेंगी। सोनम के परिवार की माने तो पिछले चार साल से वह ना तो अपने ननिहाल गयी है न ही अपने किसी रिश्तेदार से मिली है। सोनीपत के मदीना की रहने वाली सोनम पिछले चार साल से लगातार भारत को ओलिम्पिक मे मेडल दिलाने के सपने पर काम कर रही है।
सोनम के पिता बताते है कि वह खुद एक पहलवान रह चुके है परंतु कभी भी कोई बड़ा खिताब हासिल नहीं कर सके।इसलिए वह अपनी बेटी पर बेहद फक्र महसूस करते है कि उनकी बेटी आज उनका सपना पूरा करने जा रही है।सोनम की नानी चाँदी देवी अपनी नातिन का बाहें फैलाये इंतज़ार कर रही है कि कब वो आए और वह अपना सारा प्यार लुटा सकें।
सोनम पहलवानी मे कई दफा अपना दमखम दिखा चुकी है। रियो ओलम्पिक मे भारत को मेडल जिताने वाली साक्षी मलिक को वह चार दफा शिकस्त दे चुकी है। जनवरी मे हुये ट्राइल मे सोनम ने साक्षी को हराया था।दोबारा से 26 फरवरी 2020 को ट्रायल में मात दी। इसके बाद उत्तर प्रदेश के आगरा में इस साल मुकाबले में हराया। लखनऊ में आयोजित हुए राष्ट्रीय कैंप में चौथी बार पटखनी दी।
सोनम के पिता बताते है कि ओलिंपिक के क्वालिफ़ाईंग मुकाबले में उनका मुकाबला कजाकिस्तान की पहलवान से था जिसमे उनके घुटने मे असहनीय दर्द था। लेकिन इसके बावजूद भी वह ना ही सिर्फ मुक़ाबला लड़ी बल्कि विरोधी पहलवान को हराकर टोक्यो ओलंपिक्स मे अपनी जगह भी बनाई।पिता का कहना हैं कि यदि बेटी पदक लाती है तो झज्जर के बेरी स्थित माता के मंदिर में जाएंगे और दर्शन करेंगे। एक लाख रुपये का दान भी करेंगे। गांव के मंदिर में भी पूजा-अर्चना करेंगे।
सोनम घर के खाने की बेहद शौकीन है, व आलू के पराँठे, मख्हन और दूध उन्हे बेहद पसंद है। दूध की कोई कमी न हो इसके लिए उन्होने घर पर एक भैंस भी पाली हुई है।बाहर का व बहुत कम ही खाती है और इसलिए जब वह ओलंपिक्स के लिए रवाना हुई तब वह अपनी माँ के हाथ के बनी 2 किमी पूड़ी साथ लेकर गयी जिससे वह घर से दूर रहकर भी घर से जुड़ी रहे।
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