यमुना नदी इस समय अपने पूरे उबाल पर है। बारिश के कारण यमुना नदी के पानी ने उछाल मारना शुरू कर दिया है। 17000 क्यूसेक पानी शुक्रवार तक हरियाणा से दिल्ली की सीमा में पहुंच गया, जो कि किसानों के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है। यूपी में बनी मजबूत पक्की ठोकरों के कारण यमुना नदी ने अपना रुख बदल हरियाणा की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया है। यह अनुमान लगाया गया है कि यदि पहाड़ों पर बारिश और होती है तो पूरे खादर क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति बन सकती है।
बता दें कि अब से 11 साल पहले वर्ष 2010 में यमुना नदी का सबसे अधिक पानी आया था, जोकि हरियाणा के खेतों में घुस गया था। यदि इसी प्रकार यमुना का जलस्तर बढ़ता रहा तो यह किसानों के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
हरियाणा की सीमा से शुक्रवार को 70 हजार क्यूसेक पानी दिल्ली में पहुंच चुका था। इस कारण दिल्ली में यमुना किनारे बसी झुग्गी – झोपड़ियों वाले इलाकों में पानी का जलभराव हो गया।
यमुना के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए सिंचाई विभाग की टीम दिनभर खादर क्षेत्र में गश्त करती रही, ताकि बाढ़ की स्थिति से बचाव किया जा सके। परंतु सच्चाई तो यह है कि यमुना का पानी खेतों को छूते हुए ही निकल रहा है। यमुना का बढ़ता पानी किसानों को भयभीत कर रहा है। 11 साल पहले वर्ष 2010 में भी बर्बादी की तस्वीरें किसानों के सामने आ रही हैं। उस समय सैकड़ों एकड़ जमीन यमुना में कट गई थी। किसानों को डर है कि यदि एक तो बारिश और भी तो यमुना के पानी का कटाव एक बार फिर उन की बर्बादी का कारण साबित होगा।
हरियाणा के अलग-अलग गांव के सरपंच एवं प्रधानों ने पक्की ठोकरों का निर्माण करने की गुहार सरकार से लगाई है। मिमारपुर गांव के मोहम्मद अली, जैनपुर गांव के पंडित मांगेराम शर्मा, टिकोला गांव के संतलाल त्यागी, काजल गांव के याद सिंह, खुरमपुर गांव के सरपंच एवं नरेश प्रधान आदि ने प्रदेश सरकार से यूपी की पक्की ठोकरों की जैसी ही ठोकरें बनवाने की मांग की है।
किसानों ने आरोप लगाते हुए कहा कि कच्ची ठोकरे होने के कारण ही यमुना के पानी का कटाव उनकी तरफ पड़ता है। यूपी में हरियाणा के किसान खेती के लिए एक दूसरे के प्रदेश आते जाते थे, लेकिन यमुना के बढ़ते जलस्तर के कारण जिला प्रशासन ने किसानों के यमुना पर आवागमन पर भी रोक लगा दी है।
एक्सइन सिंचाई विभाग के अश्वनी फोगाट ने कहा कि 70 हजार क्यूसेक पानी दिल्ली पहुंच चुका है अभी हरियाणा में अभी बाढ़ की स्थिति नहीं है। उन्होंने बताया कि विभाग की टीम ग्राउंड स्तर पर लगातार कार्य कर रही है।
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