हरियाणा में पेंशन और प्रति माह यात्रा भत्ता ले रहे 11 पूर्व विधायक दलबदल के कारण अयोग्य घोषित हो चुके हैं। करीब 68 हजार रुपये प्रति माह पेंशन व यात्रा भत्ता के तौर पर प्रति विधायक को दिया जा रहा है। अब सवाल उठता है कि क्या अयोग्य हो चुके पूर्व विधायक इसके हकदार हैं? तो इसका जवाब है, हां वह इस पेंशन और यात्रा भत्ते के हकदार हैं। अयोग्य घोषित होने से पहले उन्हें उतनी अवधि की पेंशन मिलती रहेगी, जितने दिन वे विधायक रहे हैं।
विधानसभा सचिवालय ने इसे लेकर उपजे संशय पर स्थिति स्पष्ट कर दी है। हरियाणा विधानसभा सचिवालय से आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने इस संबंध में सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 6 पूर्व विधायकों को 15 वर्ष पहले अयोग्य घोषित किया था, जबकि 5 पूर्व विधायकों को स्पीकर ने अयोग्य घोषित किया हुआ है। यह मामला अब भी पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
कपूर ने आगे बताया कि 9 मार्च 2000 से 25 जून 2004 तक यह 6 पूर्व विधायक जगजीत सांगवान, कर्ण सिंह दलाल, राजेंद्र सिंह बीसला, देव राज दीवान, भीम सेन मेहता और जय प्रकाश गुप्ता विधायक रहे हैं। 25 जून 2004 को तत्कालीन स्पीकर सतबीर कादियान ने इन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था। 11 दिसंबर 2006 के निर्णय के तहत सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों की अपील को खारिज कर दिया और स्पीकर के फैसले को बरकरार रखा।
हरियाणा जनहित पार्टी की टिकट पर चुनाव जीतकर वर्ष 2009 में कांग्रेस में शामिल हुए धर्म सिंह छोक्कर, राव नरेंद्र सिंह, जिले राम शर्मा, सतपाल सांगवान व विनोद भ्याणा को पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा ने अयोग्य घोषित कर दिया था।
हर महीने 51,800 मासिक पेंशन और 10 हजार रुपये यात्रा भत्ता ले रहे हैं विधायक
पीपी कपूर ने बताया कि ये विधायक वर्षों से 51,800 मासिक पेंशन और यात्रा भत्ता के तौर पर 10 हजार रुपये प्रति माह ले रहे हैं। विधायक रहते हुए भी उन्होंने और भी लाभ उठाए हैं। सरकार को सभी वित्तीय लाभों की वसूली इनसे करनी चाहिए।
दलबदल कानून में अयोग्य घोषित होने के बावजूद मिलेगी पेंशन
विधानसभा सचिवालय के मुताबिक, अगर कोई विधायक अयोग्य दलबदल कानून में भी घोषित होता है तो वह उतनी अवधि की पेंशन व अन्य वित्तीय लाभों का पात्र है, जितने दिन वह विधायक रहा है। जनप्रतिनिधि कानून के तहत अयोग्य घोषित होने के बाद ही उनकी पेंशन रोकी जा सकती है।
दलबदल कानून के तहत अयोग्य घोषित होने पर जिस दिन फैसला सुनाया गया उस तिथि के बाद की पेंशन नहीं मिलेगी। अगर 5 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद फैसला आया है तो विधायक पेंशन का पात्र है।
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