हमारा देश अनोखे लोगों से भरा हुआ हैं। यहां लोग अपनी पुरानी धरोहर को बचाने के लिए हर वो प्रयत्न करते है जिससे उनकी धरोहर बच सके। इसके लिए वह अपने निजी खर्च में से कुछ रूपये बचाकर भी रखते हैं ताकि वह अपनी उस धरोहर की कायाकल्प करके उसको नया रुप दे सके। वहीं आने वाली पीढ़ियों को पुरानी धरोहरों से सरोकार करवाते हैं।
ऐसा ही एक कार्य हिसार जिले के मिलकपुर गांव निवासी तिलक राज उर्फ पप्पू सुनार ने किया है। जो अपने ही गांव के 150 साल पुराने खंडहर बने कुएं की तस्वीर ही बदल कर रख दी। उनके इस कार्य से वह आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बने हैं।
करीब डेढ़ सौ साल पहले गांव मिलकपुर में एक कुएं का निर्माण तिलक राज उर्फ पप्पू सुनार के द्वारा करवाया गया था। कुछ ही सालों में कुआं खंडहर के रूप में परिवर्तित हो गया। कुएं की ऐसी हालत देख पप्पू सुनार ने 20 वर्ष की आयु में यह सोचा कि कुएं का मरम्मत करके इसे नया रूप देना चाहिए। उस समय वह बेरोजगार था।
शुरुवात में उसने अपने परिवार वालों से ही कुछ रुपए इकट्ठा करके खुद अपने हाथों से कुएं की मरम्मत करवाई थी। पढ़ाई पूरी होने के बाद जब नौकरी नहीं मिली तो कुछ समय बाद ही वह आटो–रिक्शा चलाने लगा। ऑटो से जो कमाई होती थी उसका कुछ हिस्सा वह कुएं की मुरम्मत व रंग रोगन के लिए अलग से रखने लगा।
पप्पू सुनार आज 50 वर्ष का है और वह जींद में जेवर बनाने का कारीगर है। वह हर वर्ष कुएं की मरम्मत स्वयं अपने हाथों से करता है। अपने हाथों से वह कुएं को रंगो से सजाता है और हर रोज उसकी साफ-सफाई भी खुद ही करता है।
डेढ़ सौ साल पहले परदादा ने करवाया था निर्माण
करीब डेढ़ सौ साल पहले उनके परदादा मोनू राम ने इस कुएं का निर्माण करवाया था। आज परिवार के लोग रोजी रोटी कमाने के लिए देश के अन्य राज्यों में और कुछ तो विदेशों भी चले गए हैं। पप्पू गांव में अकेला ही रहकर परिवार की इस पुरानी धरोहर को संजोए हुए हैं। उसका कहना है कि आने वाली पीढ़ी इस कुएं को देखकर प्रेरणा ले सके। इसलिए वह बुजुर्गों की इस धरोहर को हमें बचा कर रखना चाहता है।
आखिरी सांस तक करेंगे कुएं की देखभाल
पप्पू ने यह भी बताया कि कुछ लोग कुएं पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। उन लोगों का पप्पू के साथ झगड़ा भी हो चुका है। प्रशासन से पप्पू ने मांग की है कि वह इस मामले में उसकी मदद करें ताकि इस पर कोई कब्जा न कर सके। पप्पू ने आगे कहा कि वह अपनी आखिरी सांस तक इस कुएं का देखभाल अपने खर्च पर करता रहेगा।
दुबई में रह रहे उनके चचेरे भाई रामअवतार ने बताया कि पप्पू का यह कार्य सराहनीय है। हमारे बुजुर्गों की धरोहर को उसने अब तक बचा कर रखा हुआ है। वह बधाई के पात्र हैं। जब भी हम गांव आते हैं तो गांव के कुएं को देखकर बहुत खुशी होती है। ग्रामीण ने बताया कि आस–पास के क्षेत्रों से भी बहुत लोग इस कुएं को देखने के लिए आते हैं।
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