हाल ही में तालिबान ने अफगानिस्तान में जो दहशत फैलाई है पूरी दुनिया उससे अच्छी तरह से वाकिफ है। ऐसे में कोई भी देश अफगानिस्तान की मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है। इस कारण लोग बहुत चिंतित हैं कि पता नहीं आगे चलकर क्या होगा? कहीं न कहीं ये बात तो हम लोग भी अच्छी तरह से जानते हैं कि किस तरह इन तालिबानियों ने एक के बाद में एक राज्यों से अफगान सेना को पीछे धकेलते हुए तेजी के साथ राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया।
लेकिन देखने से तो यह लग रहा है कि अभी तक इन तालिबानियों का पाला अफगानिस्तान के असली देशभक्तों से नहीं पड़ा था।
अफगानिस्तान में पंजशीर घाटी एक पूरा राज्य है और यह अभी तालिबान के नहीं बल्कि नोर्दर्न अलायन्स के कब्जे में है।
नोर्दर्न अलायन्स ने भरी हुंकार, अमरुल्लाह सालेह भी हैं साथ
यहां के लोग तालिबान के विरोध कर लोकतांत्रिक तरीके से एक सरकार बनाने के पक्ष में हैं। अहमद मसूद इसका नेतृत्व कर रहे है, जिनके पीछे हजारों लोगो की सेना खड़ी है और जो भी अफगान सेना के जवान है इन्होंने उनको भी अपने साथ में आने का आग्रह किया है।
सालेह के नेतृत्व में पंजशीर घाटी में इकट्ठा हुए सभी देशभक्त
अफगानिस्तान के सारे स्वतंत्रता सेनानी, अफगान सेना के जवान और और कई आम लोग पंजशीर घाटी में अमरुल्लाह सालेह के नेतृत्व वाले नोर्दर्न अलायंस में जमा हो रहे हैं। इन लोगों का संकल्प है कि ये एक-एक करके सारे राज्य तालिबान से वापिस छीन लेंगे। इसके लिये इन्होंने विश्व के विभिन्न देशो से मदद मांगनी भी शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, इन्होंने तालिबान का संपर्क अफगानिस्तान के सबसे बड़े शहर मजार-ए-शरीफ से तोड़ने के लिए कार्यवाही भी शुरू कर दी है। इसके बाद ये इनके कण्ट्रोल में आ सकता है।
तालिबान को पहले भी खदेड़ चुका है नोर्दर्न अलायन्स
नोर्दर्न अलायन्स के लिए यह कोई नयी चीज नहीं है। आज से लगभग बीस साल पहले भी जब तालिबान ने घुसपैठ की थी, तब भी उसे रोकने और भगाने में इन्होंने ही प्रमुख भूमिका निभाई थी। कई अस्पष्ट रिपोर्ट्स यह बात भी सामने आई है कि नोर्दर्न अलायन्स को भारत का भी पूरा सपोर्ट हुआ करता था। अगर इस बार भी इनको भारत से सपोर्ट मिलता है तो फिर ये आसानी से तालिबान को अफगानिस्तान से खदेड़ सकते हैं।
अमेरिका का स्टैंड स्पष्ट नहीं
फिलहाल अमरुल्लाह सालेह और नोर्दर्न अलायन्स दोनों यह उम्मीद कर रहे हैं कि चाहे अमेरिका उन्हें फ़ोर्स न दे लेकिन अगर वह उनको कुछ हथियार आदि उपलब्ध करवा दे तो ये लोग अपनी पूरी जान लगाकर अफगानिस्तान को वापिस लेने के लिए तालिबान से युद्ध में भी पीछे नहीं हटेंगे। लेकिन अभी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडन इस पर स्पष्ट नहीं हैं।
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