हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के निर्वाचन क्षेत्र करनाल में किसानों का एक बड़ा समूह लघु सचिवालय के सामने डेरा डाले हुए है। किसानों द्वारा उस आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है जिन्होंने पिछले महीने प्रदर्शनकारी किसानों के समूह पर लाठीचार्ज करने का आदेश दिया था। यह आदेश दिए जाने के पीछे क्या कारण थे,
आइए जानें इस बारे में –
पुलिस व राज्य सरकार द्वारा सीआरपीसी की धारा 144 लागू करने, इंटरनेट सेवा बंद करने, आरएएफ की तैनाती, चेक पोस्ट तथा नाके लगाने जैसे कई उपाय किए जाने के बावजूद भी किसान करनाल जिला मुख्यालय तक पहुंचने व लघु सचिवालय पर घेराबंदी करने में सफल रहे।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट अनुसार भाजपा के एक वरिष्ठ नेता द्वारा कहा गया कि “राज्य सरकार के लिए यह एक बड़ी शर्मिंदगी है। मुख्यमंत्री निर्वाचन क्षेत्र को बंधक बना कर रखा गया है ? इससे ज्ञात होता है कि सरकार अपना नियंत्रण खो रही है। प्रतीत होता है कि सरकार अपने बैकफुट पर है।
अन्य एक भाजपा नेता का कहना है कि सरकार के कामकाज की दृष्टि से इस प्रकार की स्थिति अर्जकतापूर्ण तो है ही साथ ही पार्टी के लिए भी यह खतरनाक है। निंदनीय बात है कि पहली बार जिस पार्टी को व्यापक जनादेश मिला था, वही पार्टी दूसरे चुनाव में संख्या बरकरार रखने में कामयाब नहीं हो सकी।
जिस कारण उसे गठबंधन करने पर मजबूर होना पड़ा। उनका कहना है कि सरकार को आमदनी को नाराज नहीं करना चाहिए। वहीं और एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कह कि जो लोग किसान आंदोलन को हल्के में ले रहे हैं वे खुद को धोखे में रख रहे हैं।
बीते 28 अगस्त को करनाल के राष्ट्रीय राजमार्ग बस्तर टोल प्लाजा किसानों पर लाठीचार्ज के दौरान यह सब शुरू हुआ था। किसान करनाल की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे, जहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित अन्य भाजपा नेता आगामी पंचायत चुनावों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक कर रहे थे। उसी दौरान द्वार नाके पर तैनात आईएएस आयुष सिन्हा द्वारा किसानों का सिर फोड़ने की बात जिस प्रकार वायरल हुई,
उससे भी किसानों में काफी रोष है। लाठीचार्ज में घायल एक किसान सुशील काजल की उसके घर पर मौत भी हो गई थी। जिसके बाद किसानों ने सरकार के समक्ष तीन मांग रखीं, जिसमें आईएएस आयुष सिन्हा के निलंबन, उसके तथा अन्य पुलिसकर्मियों को जिन्हें लाठीचार्ज का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने, मृतक किसान सुशील काजल के परिजनों को 25 लाख रुपए मुआवजा देने व साथ में परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने तथा लाठीचार्ज में घायल प्रत्येक किसान को 2 लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग की गई है। किसानों ने कहा है कि यदि उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे लघु सचिवालय पर किए हुए घेराव को जारी रखेंगे।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज किया गया हो। इससे पहले इसी वर्ष जनवरी माह में भी किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के हेलीकॉप्टर को कैमला गांव में उतरने नही दिया था, जिस कारण उन्हे अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी थी। किसानों एवं पुलिसकर्मियों के बीच तब भी भिड़ंत हुई थी।
पिछली बार मई में जब किसानों द्वारा सीएम के कार्यक्रम में बाधा डालने का प्रयास किया गया था, तब भी उन पर लाठीचार्ज किया गया था। बीते वर्ष मुख्यमंत्री काफिले पर दिसंबर के महीने में अंबाला में हमला किया गया था। निम्न घटनाओं से समझा जा सकता है कि किसान मुख्यमंत्री मनोहर लाल के खिलाफ गुस्से में क्यों हैं।
प्रदेश में विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी द्वारा इस मौके का भरपूर फायदा उठाया जा रहा है। किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस लगातार भाजपा व जेजीपी की गठबंधन सरकार पर हमले कर रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस सरकार तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का भरपूर सहयोग कर रही है। प्रदेश की ओर एक विपक्षी पार्टी इनेलो भी इस सबमें पीछे नहीं है। इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला द्वारा भी किसानों के समर्थन में जगह – जगह दौरे किए जा रहे हैं।
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