नवंबर में शुरू हो रहे शादी के सीजन के लिए लोगों ने अभी से बुकिंग कराना शुरू कर दिया है। लेकिन शादीवाले घरों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स बन गया है। मैरिज गार्डन, टेंट से लेकर बैंड सभी तय रेट पर अलग से जीएसटी का भार आम लोगों पर डाल रहे हैं, जिससे लोगों का बजट बिगड़ रहा है। एक शादी में औसतन करीब 5.5 लाख रुपए खर्च आता है। इस पर जीएसटी के रूप में लोगों को 96 हज़ार रुपए चुकाने पड़ेंगे। इससे लोग सुविधाओं में कटौती कर रहे हैं
आप बेटी या बेटे की शादी करने जा रहे हैं तो जेब का ख्याल अवश्य रखिए क्योंकि इस बार जेब कुछ ज्यादा ही ढीली होगी। नई कर प्रणाली में शादियों का बजट बढ़ गया है।
टेंट, शादी के लिए हॉल की बुकिंग, फोटोग्राफी, खाने-पीने आदि सेवाएं महंगी हो गई हैं। जीएसटी की दरों के चलते शादी में पहले की तुलना में अधिक भुगतान करना पड़ेगा। मध्यम वर्गीय परिवार की शादी में पहले की तुलना में करीब एक से डेढ़ लाख रुपये तक अधिक खर्च होंगे।
जिन घरों में विवाह की तैयारिया हो रहीं हैं उन्हें सामान खरीदने और बुकिंग कराने में अधिक खर्च करना पड़ रहा है। मैरिज होम की बुकिंग में 18 फीसद जीएसटी देना पड़ेगा। जीएसटी से पूर्व 15 फीसद सर्विस टैक्स लगता था।
यानी प्रति एक लाख रुपये के किराए पर 3 हजार रुपये अतिरिक्त देने पड़ेंगे। शादी को शानदार बनाने में टेंट की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। टेंट भी अब राजसी अंदाज में लगाए जाने लगे हैं।
टेंट पर जीएसटी की दर 12 फीसद है। पहले की तुलना में अब इस पर प्रति लाख आठ हजार रुपये अधिक देने होंगे। वहीं कैट¨रग में पहले कुल बुकिंग के 60 फीसद पर 15 फीसद सर्विस चार्ज लगता था। अब संपूर्ण वैल्यू पर 18 फीसद जीएसटी लगेगा।
शादी में वर व वधू दोनों ओर से ज्वेलरी बनवाई जाती है। अब ज्वेलरी पर 3 फीसद का टैक्स देना होगा जो पहले 1 फीसद था। इस तरह प्रति लाख 2 हजार रुपये अधिक का भुगतान करना पड़ेगा। फर्नीचर पर टैक्स दोगुना यानी 18 फीसद हो गया।
बड़े ब्यूटी पार्लर जिनका सालाना टर्नओवर बीस लाख रुपये से अधिक है वहा दुल्हन का श्रृंगार कराने पर अब अट्ठारह फीसद टैक्स देना होगा। कपड़े पर पाच फीसद जीएसटी लगाया गया है। इससे पहले इस पर टैक्स की दर शून्य थी।
शादी में दूल्हे और दुल्हन को अपनी पसंद के कपड़े खरीदने पर पांच फीसद जीएसटी देना होगा, क्योंकि सिंगल पीस जिसकी कीमत एक हजार रुपये से अधिक है उस पर 12 फीसद जीएसटी है। इसके अलावा शादी-विवाह में लगने वाले अन्य कुछ घरेलू सामान जो जीएसटी के दायरे में हैं।
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