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बागवानी किसानों को मुख्यमंत्री का तोहफा, फसलों के नुकसान की भरपाई करेगी सरकार

हरियाणा में किसानों के हितों की रक्षा के प्रति मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए राज्य सरकार ने एक विशेष रूप से डिजाइन की गई योजना के तहत अजैविक कारकों के खिलाफ बागवानी किसानों को कवर करने का निर्णय लिया है।
इस आशय का निर्णय मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लिया गया।


मंत्रिमंडल ने बागवानी किसानों के लिए प्रतिकूल मौसम और प्राकृतिक आपदाओं के कारण बागवानी फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना (एमबीबीवाई) नामक एक आश्वासन-आधारित योजना के कार्यान्वयन को स्वीकृति प्रदान की ।
बागवानी किसानों को विभिन्न कारकों के कारण भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता है जिनमें फसलों में अचानक बीमारी फैलने, कीटों के संक्त्रमण जैसे जैविक कारक और बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, सूखा, पाला, अत्यधिक तापमान जैसे अजैविक कारक शामिल हैं।


बागवानी विभाग ने बागवानी फसलों को कवर करने वाली विभिन्न फसल बीमा योजनाओं की जांच की और पाया कि प्राकृतिक आपदाओं और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण फसल नुकसान को कवर करने के लिए एक नई योजना की आवश्यकता है। इस योजना को बागवानी फसल आश्वासन योजना के रूप में तैयार किया गया है और इसका नाम एमबीबीवाई रखा गया है जिसका उद्देश्य किसानों को उच्च जोखिम वाली बागवानी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करना है।


इस योजना के तहत ओलावृष्टि, पाला, वर्षा, बाढ़, आग आदि जैसे मापदंडों को लिया गया है जिससे फसल को नुकसान होता है। इस योजना के तहत कुल 21 सब्जी, फल और मसाला फसलों को कवर किया जाएगा।
योजना के तहत किसानों को सब्जी एवं मसाला फसलों की 30,000 रुपये और फल फसलों की 40,000 रुपये की बीमा राशि के विरूद्घ केवल 2.5 प्रतिशत यानी क्त्रमशर् 750 रुपये और 1000 रुपये ही अदा करते होंगे।
दावा मुआवजा सर्वेक्षण और नुकसान की चार श्रेणियों 25, 50, 75 और 100 प्रतिशत की सीमा पर आधारित होगा। यह योजना वैकल्पिक होगी और पूरे राज्य में लागू होगी।


किसानों को मेरी फसल मेरा ब्योरा (एमएफएमबी) पोर्टल पर अपनी फसल और क्षेत्र का पंजीकरण करते समय इस योजना का विकल्प चुनना होगा। मौसमवार फसल पंजीकरण की अवधि समय-समय पर निर्धारित एवं अधिसूचित की जाएगी। यह योजना व्यक्तिगत क्षेत्र पर लागू की जाएगी अर्थात फसल हानि का आकलन व्यक्तिगत क्षेत्र स्तर पर किया जाएगा।
राज्य सरकार द्वारा 10 करोड़ रुपये का बजट रखा जाएगा और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत राज्य और जिला स्तरीय समितियां राज्य एवं जिला स्तर पर निगरानी, समीक्षा और विवादों का समाधान करेंगी।

Avinash Kumar Singh

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