ड्रैगन को पता है कि वो भारत से सीधी लड़ाई नहीं लड़ सकता है। इसलिए तो वो ख़ुराफ़ात करता रहता है। अपनी हरकतों को इसलिए ज़िंदा रखता है ताकि उसकी चली हुई चाल एक्टिव रहे। बतादें, चीन में सेना और राजनेताओं के बीच गहरा मतभेद है।
ये इस बात से स्पष्ट होता है कि जहां चीनी सेना यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी लद्दाख में फौजी जमावड़ा बढ़ा रही थी। वहीं दिल्ली में बैठे चीनी राजदूत सुन वीडोंग ने बीजिंग के इशारे पर सुलह सफाई की बातें शुरु कर दीं।
उनका कहना था कि, हमें कभी अपने मतभेदों को दो देशों के बीच आपसी रिश्तों से ज्यादा महत्व नहीं देना चाहिए और असहमतियों का समाधान बातचीत से करना चाहिए। भारत और चीन एक दूसरे के दुश्मन नहीं, बल्कि एक दूसरे के लिए अवसर हैं। चीनी राजदूत की बातें तो बेहद मनभावन हैं।
लेकिन वो अपनी फौज को क्यों नहीं समझा पा रहे हैं जो भारतीय सीमा पर अपने सैनिकों और हथियारों का जमावड़ा करने में जुटी है। ये दर्शाता है कि चीन में राजनैतिक और सैन्य नेतृत्व के बीच मतभेद गहरा हो चुका है।
हालांकि इन परिस्थितियों में भारत को अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरुरत है। क्योंकि चीन की सेना बिना अपने राजनीतिक नेतृत्व की अनुमति के किसी तरह की खुराफात कर सकती है। लेकिन चीन की सेना भले ही उछल रही हो।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित वहां का राजनैतिक नेतृत्व अच्छी तरह जानता है कि भारत से सीधे जंग में उलझना उनके भविष्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। यही वजह है कि डोकलाम से भी चीन की फौज को बैरंग वापस लौटना पड़ा था।
आखिर क्यों चीन भारत से उलझना नहीं चाहता? क्या है उसकी मजबूरी? इसके पीछे के ये हैं कुछ प्रमुख कारण। भारत से लड़कर पूरी दुनिया में अकेला पड़ जाएगा चीन। चीन को अपने पड़ोसियों की तरफ से कई मोर्चे खुल जाने का डर।
चीन के सभी पड़ोसी उसकी विस्तारवादी नीति से नाराज रहते हैं।चीन के बिलकुल बगल के वियतनाम, फिलीपींस जैसे कई देशों ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदकर उसे चीन की तरफ तैनात भी कर रखा है। चीन अच्छी तरह जानता है कि अगर उसने भारत को छेड़ने की कोशिश की, तो उसे कूटनीतिक रुप से घेर लिया जाएगा। वियतनाम, जापान, ताइवान, फिलीपींस सहित कई छोटे देश चीन से अपना हिसाब चुकाने उतर आएंगे।
ये कुछ अहम वजह हैं जिनकी वजह से चीन का दम निकला रहता है। हालांकि चाइना इतने के बावजूद भी अपनी नापाक हरक़त से बाज़ नहीं आ सकता है। अब इतने में भी लगातार नेताओं की तरफ से मतभेद आता है, जिससे सेना और नेताओं के बीच भी दिक्कतें होती हैं। अब इस पर आपकी क्या राय है कमेंट कीजिए।
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