हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शिक्षा विभाग द्वारा रेशनेलाइजेशन नीति में बदलाव कर दिया गया हैं। जिसके बाद अब प्राथमिक शिक्षा यानी जेबीटी और पीआरटी शिक्षकों द्वारा एक कक्षा में 25 बच्चों की जगह 30 विद्यार्थियों को पढ़ाने की नीति तैयार की जाएगी।इसके साथ ही प्रदेश में 422 प्राथमिक शिक्षक सरप्लस हो गए हैं, जिनमें 108 नियमित शिक्षक और 314 अतिथि अध्यापक शामिल हैं।
वहीं अब सरप्लस शिक्षकों को स्कूलों से हटाने के बावजूद संबंधित जिले में ही दूसरे कार्यों में भी लगाया जाएगा।
मौलिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को नई पालिसी के अनुसार सरप्लस शिक्षकों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं। प्राथमिक कक्षाओं में पहले 26वें छात्र पर दूसरा सेक्शन बनाया जाता था, लेकिन अब 31वें छात्र पर नया सेक्शन बनाया जाएगा।
ऐसे में हरियाणा प्राइमरी टीचर एसोसिएशन के प्रदेश प्रधान हरीओम राठी व प्रदेश कोषाध्यक्ष चतर सिंह ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वर्ष 2017 में जेबीटी शिक्षकों की ज्वाइनिंग के दौरान 25 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक को नियुक्ति दी गई थी। नई शिक्षा नीति में भी 25 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक रखने की बात है। ऐसे में शिक्षक-छात्र अनुपात को बढ़ाना गलत है।
उन्होंने कहा कि इस फैसले को तुरंत वापस लिया जाए। वहीं, नई पालिसी में साफ किया गया है कि विधवा, दिव्यांग, लंबे समय से बीमार और कैंसर पीड़ित शिक्षकों का तबादला नहीं किया जाएगा। किसी भी मुख्य शिक्षक, मौलिक मुख्य अध्यापक को सरप्लस नहीं माना जाएगा। इसके अलावा जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति में एक साल या इससे कम का समय है उन्हें भी सरप्लस नहीं किया जाएगा। स्कूल में सबसे जूनियर और लंबी सेवा वाले अध्यापकों को सरप्लस मानते हुए दूसरे स्कूलों में भेजा जाएगा।
किसी स्कूल में गेस्ट टीचर सरप्लस नहीं है तो नियमित जेबीटी को सरप्लस किया जाएगा। जिलास्तर पर रेशनेलाइजेशन के बाद 159 सरप्लस अध्यापकों को मूलभूत साक्षरता और अंक (एफएलएन) प्रोग्राम में लगाया जाएगा। इसके अलावा 263 सरप्लस शिक्षकों को जिला मुख्यालय या जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) में भेजा जाएगा। चाइल्ड केयर लीव पर चल रही महिला शिक्षकों की जगह भी सरप्लस शिक्षकों की सेवाएं ली जाएंगी।