उपायुक्त जितेंद्र यादव ने बताया कि सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से टीबी रोगियों की सुविधा के लिए ‘निक्षय पोषण योजना’, ‘सूचना प्रोत्साहन योजना’, ‘उपचार समर्थक योजना’ और ‘निजी प्रदाता अधिसूचना योजना’ नामक चार योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसके तहत टीबी रोगियों और उनकी देखभाल करने वालों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं में टीबी होने के बारे में काफी हद तक पता नहीं चलता, इससे गर्भावस्था के दौरान प्रतिरक्षात्मक परिवर्तन नए संक्रमणों के साथ-साथ अप्रत्यक्ष संक्रमण की सक्रियता को सामान्य बना देते हैं। महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे परिवार में टीबी रोगी की देखभाल करें, जिसके कारण टीबी के निदान से पहले या बाद में उनके संपर्क में आने से वे टीबी की चपेट में आ जाती हैं। इसके अलावा, खाना पकाने के लिए ठोस जैव ईंधन के उपयोग के साथ-साथ गरीबी, वेंटिलेशन की कमी आदि से टीबी का खतरा बढ़ जाता है।
उन्होंने बताया कि टीबी से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए राज्य के लोग टोल फ्री नंबर 1800116666 पर संपर्क कर सकते हैं। इस बीमारी के प्राथमिक लक्षण बुखार, खांसी, वजन कम होना, पसीना आना है, जो कि कोविड-19 के लक्षणों के समान है। उन्होंने कहा अगर इस बीमारी का इलाज समय पर करवाया जाए तो बचाव संभव है। राज्य सरकार द्वारा विभिन्न टीबी केंद्रों में लोगों को मुफ्त इलाज और परीक्षण की सुविधा प्रदान की गई है।
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