दक्षिण पश्चिम मानसून ने इस बार न सिर्फ समय से पहले दस्तक दी तो वहीं समय सीमा खत्म होने के बाद भी मानसून अलविदा कहने को तैयार ही नहीं है। 15 दिन पहले दस्तक देने वाले मानसून ने इस बार अगस्त माह को छोड़ कर पिछले सभी महीनों में मानसून ने अच्छी बारिश की है।
वहीं इस बात से सभी रूबरू हैं कि सितंबर में ताे बारिश ने रिकॉर्ड ही तोड़ दिए। हरियाणा में इस मानसून सीजन में अभी तक सामान्य से 30 फीसद अधिक बारिश हो चुकी है।अहम बात यह है कि इस बार मानसून समय से पहले ही आ गया था तो इसके जल्दी जाने की उम्मीद थी मगर मानसून सितंबर के बाद ही जाएगा। वैसे तो अक्सर 20 सितंबर के आसपास मानसून चला जाता है। इस बार मानसून के अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में जाने के कयास लगा रहे हैं।
दूसरी तरफ इस तरह का मौसम कई सालों बाद बना है. ग्वार की फसल में बारिश का अलग ही प्रभाव दिख रहा है. कई स्थानों पर फंगस रोग से ग्वार ग्रसित हो गई है. इसके साथ ही किसान अगर इस पर दवा स्प्रे भी कर रहे हैं तो यह फसलों को नुकसान पहुंचा रही है. क्योंकि दवा खरीदने से पहले किसानों ने जानकारी ही नहीं ली कि कौन सी दवा लेनी है.
नमी बहुत ज्यादा बढ़ जाने के कारण ग्वार के पत्ते काले पड़ने शुरू हो गये है, इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि जिन किसानों ने फंगस की रोकथाम के लिए कोई भी या एक स्प्रे किया उनको इस बीमारी की रोकथाम के लिए तुरंत स्प्रे करने की सलाह दी गई है.
हरियाणा में अभी और बारिश हो सकती है. मौसम विज्ञानियों ने अभी से ही ऐसे हालात दर्शा दिए हैं। मौसम विज्ञानियों की मानें तो अगले तीन चार दिन तक मौसम परिवर्तनशील है। इस दौरान बादल व कहीं-कहीं गरज चमक होने की संभावना है इन तीन चार दिनों तो बारिश की कम ही उम्मीद है। अगर मानसून के कारण अब बारिश हुई तो किसानों को और भी नुकसान होने के आसार है. इससे पहले ही मानसून की बारिश ने किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है। कपास, मूंग, ग्वार, धान तक में किसानों को नुकसान हुआ है।