राम-राम कह रामलीला के मंच पर ही ‘दशरथ’ ने त्याग दिए प्राण, बेटे ‘राम’ के वनवास का चल रहा था सीन

    0
    579

    एक ऐसी घटना सामने आयी है जो काफी भावुक कर देने वाली है। लोग इससे काफी चकित हो रहे हैं। दरअसल, यूपी में बिजनौर जिले के गांव हसनपुर में चल रही रामलीला मंचन में भगवान श्रीराम के वनवास जाने पर वियोग में सच में राजा दशरथ ने प्राण त्याग दिए। जी हां वनवास गए श्रीराम को वापस लेने गए सुमंत श्रीराम को साथ लिए बिना लौटे तो वियोग में दो बार राम-राम कहते हुए राजा दशरथ का पात्र निभा रहे राजेंद्र सिंह जमीन पर गिर पड़े।

    जब वह निचे गिरे तो लोगों ने समझा कि उनका अभिनय चल रहा है। लेकिन जब हकीकत सामने आयी तो सभी चकित हो गए। उनके इस अभिनय पर खूब तालियां बजीं।

    रामलीला बिजनौर दशरथ

    लोग उनकी एक्टिंग और स्किल्स की बातें करने लगे। जब थोड़ी देर हुई तो पता चला कि उनकी जान चली गयी है। पर्दा गिरा तो साथी कलाकारों ने राजेंद्र सिंह को उठाने का प्रयास किया, लेकिन वह सच में प्राण त्याग चुके थे। घटना से गांव क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। रामलीला का मंचन स्थगित कर दिया गया। माना जा रहा है कि हृदय गति रुकने से उनकी मृत्यु हो गई।

    राम-राम कह रामलीला के मंच पर ही ‘दशरथ’ ने त्याग दिए प्राण, बेटे ‘राम’ के वनवास का चल रहा था सीन

    गांव वाले भी काफी भावुक हो गए हैं। उनकी यादों में बातें की जा रही हैं। गांव हसनपुर निवासी आदेश के अनुसार उनके गांव में प्रति वर्ष सप्तमी से दशहरा तक चार दिन तक स्थानीय कलाकारों द्वारा रामायण के विशेष प्रसंगों का मंचन किया जाता है। रामलीला मंचन में उसके चाचा पूर्व में प्रधान रहे राजेन्द्र सिंह बीते 20 वर्षों से राजा दशरथ का अभिनय करते आ रहे थे। इस वर्ष भी मंगलवार 12 अक्तूबर को मंचन का शुभारंभ किया गया था।

    राम-राम कह रामलीला के मंच पर ही ‘दशरथ’ ने त्याग दिए प्राण, बेटे ‘राम’ के वनवास का चल रहा था सीन

    राम बनवास का मंचन चल रहा था। मंचन के दौरान पिता की आज्ञा से राम, सीता व लक्ष्मण वन चले गए। राजा दशरथ ने महामंत्री सुमंत को इस आशा के साथ भेज दिया था कि वो उन्हें वन दिखाकर वापस ले आएं। सुमंत को राम के बगैर आता देख राजा दशरथ भावुक हो गए। भगवान श्रीराम के वियोग में राम-राम चिल्लाने लगे। राजेंद्र सिंह अचानक मंच पर गिर गए। सभी यही समझते रहे कि राजेंद्र सिंह ने जीवंत अभिनय किया और उन्होंने मंचन में प्राण त्याग दिए।