पंखों के बिना हर कोई परेशान हो जाता है। हवा न आने पर पसीने छूटने लगते हैं। पंखों का इस्तेमाल तो हम सभी अपने घर, स्कूल, कॉलेज या दफ्तर में करते हैं। दुनिया भर के अंदर घूमने की कई जगहें हैं और ये लोगों के बीच आकर्षण का विषय भी है। लेकिन हर देश के लिए उसकी संसद भी काफी खास होती है। संसद के अंदर तो आम जनता नहीं जा सकती है लेकिन बाहर से ही सही संसद को देखने लोग जरूर आते हैं। ये देश की एक ऐसी धरोहर है जो अपने आप में खास है।
हम सबके घरों में पखें जरूर लगे होते हैं। पंखे जो हमें गर्मी की मार से बचाते हैं। पंखा हमें गर्मी से बचाता है जिस जगह हम बैठकर अपना काम करते हैं। भारतीय संसद की बात करें तो आपको यहाँ एक ऐसी चीज देखने को मिलेगी जो आपने कहीं नहीं देखि होगी और वो है यहाँ के पंखों का उल्टा होना। लेकिन लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं है कि ऐसा क्यों होता है?
पंखे हमें गर्मी की मार से बचाते हैं। हमें राहत देते हैं। आपसे कोई पूछे कि आपके घर में ये पंखे कैसे लगे हुए हैं, तो आप सोचेंगे कि ये कैसा सवाल हुआ। भारतीय संसद भवन की नींव 21 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ क्नॉट ने रखी थी। इसका निर्माण 2 मशहूर वास्तुकारों एडिवन लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने किया और इसे पूरा बनाने में 6 साल लगे। इसका उद्घाटन तब के गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी 1927 को किया था।
पंखे छत से नीचे की ओर लटकते हुए लगे हुए होते हैं। किसी भी देश का संसद भवन उसके लिए बहुत खास और महत्वपूर्ण होता है। भारतीय संसद को काफी अलग ढंग से बनाया गया है और एक खास चीज जो लोगों का ध्यान खींचती है वो यहाँ के उल्टे पंखे हैं। यहां सीलिंग पर लगने वाले पंखे उल्टे लगे हुए हैं। पंखे उल्टे लगे होने के बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये पंखे शुरू से ही ऐसे ही लगे हुए हैं। ऐसे में अब इन पखों को बदल कर संसद की ऐतिहासिकता को बदलना नहीं चाहते हैं। पंखे आज भी उल्टे ही लगे हुए हैं।
विश्व में 195 देश हैं और हर देश की राजनीतिक गतिविधियां उसके पार्लियामेंट से ही कंट्रोल की जाती हैं। भारत का संसद भवन बहुत खास है यह ना केवल राजनीतिक महत्व रखता है बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
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