निगम का पीला पंजा चला तो‌ हरियाणा के नक्शे से गायब हो जाएंगे फरीदाबाद और गुरुग्राम सहित 11 जिले

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हरियाणा सरकार ने अरावली वन भूमि के अवैध निर्माण ढहाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाथ खड़े कर दिए हैं। राज्य सरकार ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत में हलफनामा दाखिल कर बताया कि आदेश का पालन किया गया, तो गुरुग्राम, फरीदाबाद, अंबाला सहित 11 जिलों में स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी कार्यालयों और आवासीय भवनों सहित अन्य ढांचों को ध्वस्त करना पड़ेगा। इससे कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या होगी। यह हमारी क्षमता से बाहर है।

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इस वर्ष 23 जुलाई को फरीदाबाद के खोरी गांव में अवैध निर्माण के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वन भूमि पर स्थित सभी ढांचों को हटाने का हमारा निर्देश बिना किसी अपवाद के सभी पर लागू होगा।
हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के ही एक अन्य फैसले का जिक्र करते हुए आदेश को लागू करने में असमर्थता जताई है। राज्य सरकार का कहना है, सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले के हिसाब से राज्य की करीब 40 फीसदी जमीन को वन भूमि माना जाएगा।

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इस अधिसूचित भूमि में  गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, अंबाला, पंचकूला, यमुनानगर, रेवाड़ी, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़ और मेवात शामिल है। अरावली वन भूमि पर स्थित सभी अनधिकृत संरचनाओं को ढहाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हरियाणा ने कहा है कि सितंबर 2018 के फैसले और 23 जुलाई के आदेश के अनुसार, पीएलपीए की विभिन्न धाराओं के तहत अधिसूचित सभी क्षेत्र वन भूमि हैं।

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पीएलपीए के तहत शामिल भूमि में सरकारी और निजी भूमि और ढांचे शामिल हैं। राज्य सरकार ने कहा कि यह भूमि पर लोगों के सांविधानिक अधिकारों से जुड़ा प्रासंगिक मुद्दा भी है क्योंकि ये निर्माण कानून के अनुसार अपेक्षित अनुमति लेने के बाद किए गए हैं।

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हल्फनामे के लिए मांगा जवाब : खोरी गांव के निवासियों और संपत्तियों के मालिकों की ओर से पेश वकीलों ने राज्य सरकार के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए पीठ से समय मांगा। पीठ ने उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए समय देते हुए सुनवाई 15 नवंबर तक के लिए टाल दी।