आज के समय में सभी लोगो किसी ना किसी वाहन की जरूरत पड़ती है।ऐसे में जब महामारी आई तो सभी मेट्रो और बसों की सेवाए बंद कर दी गई थी तब सभी लोगो को अपने कन्विंस की जरूरत पड़ी थी। जब हर सेक्टर को नुकसान हो रहा था। सेकंड हैंड कार की बहुत डिमांड आ रही थी।इस डिमांड के साथ ही चोरी की गई गाड़ियों को भी बेचा गया।जिसकी आधे से ज्यादा लोगो को जानकारी तक नही थी।
जब एक व्हीकल सस्ते दामों में मिल रहा हो तो लोग उसकी जांचनही करते है। उन्हें लगता है की ये सही सस्ता समान मिल रहा है लेकिन उन्हें क्या पता होता है की उनके पीठ पीछे क्या घोटाला चल रहा होता है।
ऐसे में ठगी करने वालों के लिए आसान हो जाता है ऐसे लोगों को ऐसी गाड़ियां बेचना।लेकिन अब आप आराम से पता कर सकेंगे कि यह गाड़ी सही तरीके से आपको बेची गई है।या फिर चोरी की गाड़ी है। दरअसल इसके लिए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और कॉमन सर्विस सेंटर में एग्रीमेंट हुआ है।
ज्यादातर हमने देखा ही की लोग जब सेकंड हैंड गाड़ी खरीदते है तो उनके मन में डर लगा रहता है की जो उन्होंने गाड़ी ली है कही वो चोरी की तो नही या फिर उससे जुड़ा कोई केस तो नही है। इसलिए लोगों को सेकेंड हैंड व्हीकल खरीदने में कोई दिक्कत ना हो, इसके लिए केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत काम करने वाले कॉमन सर्विस सेंटर ने गृह मंत्रालय के निकाय नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के साथ एग्रीमेंट किया है। इसके जरिए सेकेंड हैंड व्हीकल खरीदने वालों को उसके बारे में पूरी इन्फोर्मेशन दी जाएगी।
सेकेंड हैंड व्हीकल लेने से पहले एनओसी जरूरी
नियम के अनुसार जब भी आप किसी से सेकेंड हैंड व्हीकल खरीदते हैं तो उसकी पूरी जांच करते हुए, और सभी कागजात लेने चाहिए। लेकिन गांव में रहने वाले अधिकतर लोग बिना जांच किए ही गाड़ी ले लेते हैं।
इसके अलावा बिना एनसीआरबी से एनओसी लिए ही सेकेंड हैंड व्हीकल खरीद लिए जाते हैं। इसी को देखते हुए एनसीआरबी ने सीएससी से एग्रीमेंट किया है, दरअसल इसकी पहुंच देश के गांव-गांव तक है।
इसके तहत अब अगर आपको सेकेंड हैंड व्हीकल खरीदना है तो नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर में जाकर खरीदे जाने वाले व्हीकल से जुड़ा नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट ले सकते हैं।
इसके साथ ही नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने सभी प्रदेश सरकारों से इसे डिजिटल सेवा पोर्टल के साथ जोड़ने का अनुरोध किया है।ताकि लोग आसानी से इसका इस्तेमाल कर पाएं और हरजगह इस सेवा की सुविधा मिल सके।
महामारी के दौरान सेकेंड हैंड व्हीकल की डिमांड काफी तेजी से बढ़ी है। सेकेंड हैंड व्हीकल खरीदने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले इस बात की चुनौती हमेशा रहती है कि, आप सही व्हीकल का चयन करें क्योंकि इस समय दूसरों की बातों में फंसने का ज्यादा चांस रहता है।
इसलिए जब कोई शख्स सेकेंड हैंड व्हीकल खरीदता है तो उसे पहले तो परिवहन विभाग से अपने नाम कराता है। उसदौरान आरटीओ गाड़ी के ट्रांसफर पेपर बनाने से पहले नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट हासिल भी करता है।जिससे यह जानकारी मिलती है कि वह गाड़ी किसी कानूनी मुकदमे में फंसी तो नहीं है।