क्यों करते हैं, मां लक्ष्मी के साथ श्रीगणेश और देवी सरस्वती की पूजा? जाने वजह

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अब कुछ ही दिनों में दिवाली का पर्व आने वाला हैं। हर घर के लोग दिवाली की तैयारी में लगा हुआ है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर जब भी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती हैं और साथ में श्रीगणेश और देवी सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर भी विराजित होती है। क्या किसी को यह पता हैं की इसका महत्व क्या हैं?

क्यों करते हैं, मां लक्ष्मी के साथ श्रीगणेश और देवी सरस्वती की पूजा? जाने वजह

बता दे की मां लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है।साथ ही मां की अराधना से सारे दुख दूर हो जाते हैं। वहीं देवी सरस्वत ज्ञान की देवी होती है। श्रीगणेश की बात करें तो उन्हें बुद्धि के देवता कहा जाता है। इन तीनों की पूजा साथ में करने से अभिप्राय यह है कि यदि आप धन कमाना चाहते हैं तो आपको अपने ज्ञान और बुद्धि में भी वृद्धि करनी चाहिए। यह दोनों चीजें अगर आपके पास हो तो आपको धन कमाने से कोई नहीं रोक पाएगा।

क्यों करते हैं, मां लक्ष्मी के साथ श्रीगणेश और देवी सरस्वती की पूजा? जाने वजह

एक बार आपके पास धन आ गया तो उसे सही ढंग से संभालने का ज्ञान होना भी जरूरी है। बुद्धि होगी तो आप उस धन का सही निवेश करेंगे। इस तरह मां लक्ष्मी हमारे घर में स्थायी रूप से निवास करेगी। साथ ही मान्यता यह हैं, की यह चीज यदि आप रियल लाइफ में भी अप्लाई कर दें तो आप जल्द ही मालामाल हो सकते हैं।

क्यों करते हैं, मां लक्ष्मी के साथ श्रीगणेश और देवी सरस्वती की पूजा? जाने वजह

हमेशा दिवाली पर पूजा करते समय एक और विशेष बात का ध्यान रखें की देवी सरस्वती को लक्ष्मीजी के दांई ओर एवं गणेशजी को बांई ओर विराजित किया जाता है। इसका एक अर्थ यह भी है कि इंसान का दांई ओर का मस्तिष्क ज्ञान के लिए होता है। और अपने ज्ञान को एकत्रित करते हैं। वहीं बांई ओर का मस्तिष्क रचनात्मक चीजों के लिए होता है। गणपति को बुद्धि का देवता माना जाता है। साथ ही हमारी बुद्धि रचनात्मक भी होनी चाहिए।

क्यों करते हैं, मां लक्ष्मी के साथ श्रीगणेश और देवी सरस्वती की पूजा? जाने वजह

देवी लक्ष्मी के साथ श्रीगणेश और सरस्वती की पूजा होती है। सभी दिवाली पर पूजा करें तो लक्ष्मीजी के साथ गणेशजी और सरस्वतीजी की पूजा करना ज़रूर से करे। इससे आपको बहुत लाभ होगा। एक और बात का ध्यान रखें कि मां लक्ष्मी की पूजा के पहले आपको गणेशजी की पूजा करना चाहिए। तभी इस पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होगा।