अबकी बार आंगन को सजाए गोबर के दियो के साथ,दिवाली पर घर करें रोशन

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जहां आज के समय में लोग चाइनीस लाइट और मोमबत्तियां का इस्तेमाल करते हैं अपने घर को मोमबत्ती और लाइट से से जाते हैं शायद वही हम दिनों का महत्व भूलते जा रहे हैं दिवाली का मतलब यह होता है दीप से घर को सजाना लेकिन शायद इस समय वही दीप को हम पीछे छोड़कर चाइनीस चीजों का इस्तेमाल ज्यादा करने लगे हैं।

आप सभी दिवाली पर मिट्टी के दीए जलाकर अपने घर को जगमग तो अवश्य करते हुए लेकिन इस बार कुछ नया और अलग देखने को मिला जिसमें गौ माता के गोबर से दीया को बनाने का कार्य चल रहा है

अबकी बार आंगन को सजाए गोबर के दियो के साथ,दिवाली पर घर करें रोशन

इस बार औद्योगिक नगरी अमावस्या के अंधेरे को गौ माता के गोबर से बने दियो से दूर किया जाएगा गोबर के दिए से निकलने वाली प्रकाश की रोशनी ना सर की काली रात के अंधेरे को दूर करेगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण के संदेश भी देगी।

अबकी बार आंगन को सजाए गोबर के दियो के साथ,दिवाली पर घर करें रोशन

मिट्टी का सोंधापन मैं गाय के गोबर की सुगंध भी शामिल होगी यह काले नीमका गांव से देवाश्रय पशु चिकित्सालय के रवि दुबे और उनकी टीम करने जा रही है उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर गाय के गोबर से सुंदर दीपक बनाने शुरू कर दिए हैं इन दिनों से होने वाली आय का गौ माता के उत्थान में ही खर्च किया जाएगा अस्पताल में बेहतर इलाज के संसाधनों को जुटाया जाएगा।

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रवि दुबे ने बताया कि देवाश्रय पशु चिकित्सालय के गांव संपत्ति टीम के प्रमुख केशव एवं तहजीब की देखरेख में दिए का निर्माण हो रहा है इन्हें बेचने के लिए उचित बाजार भी तलाशे जा रहे हैं

यह प्रयास कर रहे हैं कि दिवाली पर इस बार बाजार में चाइनीस के बजाय गाय के गोबर से बने दिए अधिक दिखाई दे देवाश्रय के करीब 300 गाय हैं इसके गोबर से दिए का निर्माण किया जा रहा है और 1000 दिए बनाए भी जा चुके हैं

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बाजार की उपलब्धता होने तक लोग चिकित्सालय से मात्र ₹12 में एक दिया प्राप्त कर सकते हैं। तीन दशक पहले तक गोबर का बहुत अधिक महत्व था यह भोजन खेती के अलावा घर के आंगन में दीवारों को सजाने के लिए स्कीम लिपाई में की जाती थी गोबर की लिपाई का वैज्ञानिक महत्व भी है

इससे आंगन में मुख्य नहीं आती है लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध में गोबर का महत्व धूमिल हो गया है संपत्ति टीम एक बार फिर से गोबर के महत्व को युवा पीढ़ी को रुक रुक करने की कोशिश कर रही है इसकी शुरुआत दियो से की है दीयों से प्राप्त होने वाली राशि को गौ माता के लिए बेहतर चिकित्सा एवं अन्य सुविधाओं में लगाया जाएगा।

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रसायनिक खेती के दुष्परिणाम से परिचित होने के बाद लोग एक बार फिर से किसानों का रुझान जैविक खेती की ओर बढ़ने लगा है देवाश्रय पशु चिकित्सालय में गोबर का चढ़ाकर वर्मी कंपोस्ट अभी तैयार की जा रही है इस वर्मी कंपोस्ट में वह सभी पोषक तत्व मौजूद हैं जो रासानियक खाद में होते है।

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देवाश्रय में जल्द ही गोबर की लकड़ियां बनाई जाएंगी इनका इस्तेमाल अंतिम संस्कार किया जा सकेगा ताकि अंतिम संस्कार के लिए वनों को काटने की आवश्यकता नहीं पढ़े