टेलिविजन एक ऐसी चीज है जिससे लोग अपना मनोरंजन करते है। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी लोग टेलीविजन देख काफी खुश दिखाई देते हैं। साथ ही किसी भी तरीके की परेशानी टेलीविजन देख दूर हो जाती है। टेलीविजन का पूरे देश में बहुत बड़ा योगदान है टेलीविजन एक ऐसी वस्तु है जो की हर व्यक्ति को खुशी और सुकून दे सकता है। टेलीविजन देख बड़े तो खुश होते ही हैं बच्चे भी कम खुश नहीं दिखाई पड़ते है।
हरियाणा में पानीपत जिले से एक ऐसी खबर सामने आई जिसमें आधुनिकता के इस दौर में पानीपत जिले में टेलीविज़न नहीं देखा जाता है यह एक ऐसी खबर है जिसे पढ़कर आप सभी हैरान रह जाएंग।
टैक्नोलॉजी के इस जमाने ने फासलों को मिटा दिया है। आप टीवी पर घर बैठे दुनिया के किसी भी कोने की हलचल देख सकते हैं।मोबाइल पर घर बैठे विदेश में बात कर सकते हैं।
केन्द्र की मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट डिजिटल इंडिया के तहत देशभर के गांवों में इंटरनेट पहुंच गया है और बिजली के साथ-साथ डायरेक्ट टू होम सर्विस (dth) ने देश को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन टैक्नोलॉजी के इस युग में भी हरियाणा के पानीपत जिले का गांव जलालपुर कही पीछे छूट गया है.
बता दें कि इस गांव की पूरी आबादी मुस्लिम है और यहां के ग्रामीण कहते हैं कि उनके धर्म में टीवी देखने की मनाही है,जिसका पालन वो सदियों से करते आ रहे हैं।गांव के ही एक शख्स से बात की गई तो उसने बताया कि हमारे गांव में कभी किसी घर में टीवी नहीं रहा और न ही हमें कभी इसकी जरूरत महसूस हुई।
आपकों यकीन नहीं होगा कि लगभग 1200 की आबादी वाले इस गांव के एक भी घर में टीवी नहीं है।इस गांव के लोग आज से नहीं बल्कि पहले से ही टीवी नहीं देखते।ऐसा भी नहीं है कि गांव में गरीबी की वजह से टीवी नहीं है बल्कि ग्रामीणों का कहना है कि हमारा धर्म हमें इसकी इजाजत नहीं देता है।
जब उससे पूछा गया कि आप देश-दुनिया में चल रही गतिविधियों को कैसे जानते हों तो बताया कि या तो हम मोबाइल फोन पर देख लेते हैं या फिर पड़ोसी गांव में जाकर देख लेते हैं।
सुनकर बेहद हैरानी हुई कि आधुनिकता के इस दौर में किसी की सोच इतनी रूढ़िवादी कैसे हो सकती है। ऐसे में इस मामले को लेकर जब किसी युवा से बात की गई तो उसने भी यही जवाब दिया।हालांकि उसने इसके पीछे की वजह धर्म से ज्यादा नापसंद होना बताया।
जलालपुर के ग्रामीणों का मानना था कि इस्लाम धर्म में टीवी देखने की मनाही है और हम उसका पालन कर रहे हैं। लेकिन अब बड़ा सवाल यह उठता है कि टैक्नोलॉजी के इस दौर में यें कितना व्यवहारिक है।दुनिया ने टैक्नोलॉजी के दम पर नई ऊंचाइयों को छुआ है।विज्ञान ने कितनी तरक्की कर ली है।जब गांव की यंग जनरेशन को देश-दुनिया की गतिविधियों की जानकारी ही नहीं होगी तो वे अपना भविष्य कैसे उज्जवल कर सकेंग।
इस गांव के पिछड़ेपन का अंदाजा इसी बात से लग गया था कि गांव में एक भी आदमी सरकारी नौकरी पर नहीं है। केवल 2 आदमी डीसी रेट पर जॉब करते हैं।इसके पीछे की वजह है कि यहां के मात्र 5% लोग ही साक्षर हैं और लड़कियों की साक्षरता दर तो लगभग जीरो थी। गांव की लड़कियों की छोटी उम्र में ही शादियां हो रही है।
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