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बिहार का लाल नौकरी छोड़ पंहुचा अपने गांव, तालाब में मोती उगाकर कमा रहा 30 से 35 लाख सालाना

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किस्मत को बदलने के लिए हमें खुद ही प्रयास करने पड़ते हैं। खुद ही किस्मत नहीं बदलती है। बिहार के पश्चिमी चंपारण में रामनगर ब्लॉक के मुडेरा गाँव में रहने वाले 28 वर्षीय नीतिल भारद्वाज, मोती पालन और मछली पालन कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने ‘भारद्वाज पर्ल फार्म एंड ट्रेनिंग सेंटर’ के नाम से अपना ट्रेनिंग सेंटर भी शुरू किया है, जहाँ वह लोगों को मोती पालन सिखाते हैं।

कई लोग जब आर्थिक स्थिति से कमजोर हो जाते हैं तो अपने गांवों की तरफ जाना शुरू कर देते हैं। नीतिल साल 2019 से, मोती पालन और मछली पालन कर रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात है कि नीतिल ने लॉकडाउन के दौरान, गाँव लौटे बेरोजगार मजदूरों को भी मोती पालन की मुफ्त ट्रेनिंग देकर रोजगार दिया है।

बिहार का लाल नौकरी छोड़ पंहुचा अपने गांव, तालाब में मोती उगाकर कमा रहा 30 से 35 लाख सालाना

उनके एक विचार ने कई लोगों को रोजगार दिया है। इतना ही नहीं बल्कि नीतिल बताते हैं कि वह किसान परिवार से संबंध रखते हैं। उनके यहाँ पारंपरिक खेती ही होती थी। हालंकि, उन्होंने कभी खेती को अपना करियर बनाने के बारे में नहीं सोचा था। उन्होंने ग्रैजुएशन करने के बाद एक कंप्यूटर कोर्स कर लिया। कंप्यूटर कोर्स की वजह से, उन्हें एक मल्टीनेशनल कंपनी में कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी भी मिल गयी।

बिहार का लाल नौकरी छोड़ पंहुचा अपने गांव, तालाब में मोती उगाकर कमा रहा 30 से 35 लाख सालाना

उन्होंने आगे बताया, “साल 2017 में मेरे पिताजी ने पहली बार मोती पालन के बारे में अखबार में पढ़ा। उन दिनों, मैं भी छुट्टी लेकर गाँव आया हुआ था। उन्होंने जब मुझे इस बारे में बताया तो लगा कि कुछ अलग करने की एक कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने मोती पालन के बारे में और जानकारी इकट्ठा की और मध्य प्रदेश में ‘बमोरिया पर्ल फार्म’ से मोती पालन की ट्रेनिंग लेने पहुँच गए।

बिहार का लाल नौकरी छोड़ पंहुचा अपने गांव, तालाब में मोती उगाकर कमा रहा 30 से 35 लाख सालाना

पहले उन्होंने वहां ट्रेनिंग की और फिर उन्हीं के साथ काम किया ताकि वह मोती पालन का अभ्यास भी कर सकें। साल 2019 में, जब उन्हें लगा कि अब वह खुद मोती पालन कर सकते हैं तो उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। उन्होंने बताया, “मैंने अपनी एक एकड़ जमीन पर सरकार की सब्सिडी योजना के तहत तालाब खुदवाया और काम शुरू किया।

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