जब घर की आर्थिक स्तिथि और समाज को बदलने के लिए जज्बा हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। जब कुछ करने की मनुष्य ठान लें तो उसके लिए वो कर गुजरना कुछ मायने नहीं रखता है। ऐसी ही एक शख्सियत की बात आज हम कर रहे हैं, जिनके पिता छोटे से शहर में फोटोस्टेट की दुकान चलाते हैं और बेटा अब जज बना है।
अगर कोई व्यक्ति ठान ले, तू वह बड़ी से बड़ी मंजिल को आसानी से पा लेता है। सिरसा जिले के छोटे से कस्बे रानिया के रहने वाले चिराग मेहता ने जज बनकर जिले का नहीं बल्कि प्रदेश का नाम रोशन किया है। चिराग की इस उपलब्धि से पूरे इलाके के लोगों में खुशी का माहौल है।
कठिनाइयां तो रास्ते में आती जरूर हैं, मगर बुलंद हौसलों से उन पर पार पा लिया जाता है। चिराग मेहता ने तेलंगाना राज्य न्यायिक सेवा पास कर जज बनकर इलाके का नाम रोशन किया है। चिराग के पिता नारायण दास रानियां कस्बे में फोटोस्टेट की दुकान चलाते हैं। चिराग ने सिरसा के चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई कर दिल्ली में राज्य न्यायिक सेवा की परीक्षाओं की तैयारी की।
चिराग की उपलब्धि के बाद उनके घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। उन्होंने अपनी सफलता की पूरी कहानी सुनाई। उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में ही ठान लिया था कि उसे जज बनना है, इसके लिए खूब मेहनत करनी शुरु की थी। चिराग ने कहा कि मैंने इस परीक्षा से पहले राजस्थान की परीक्षा दी थी, जिसमें 1 नम्बर से रह गया था, लेकिन तेलंगाना राज्य न्यायिक सेवा मैंने क्लियर कर ली और मुझे बहुत खुशी है।
चिराग की पिता नारायण दास कहते है कि आज परिवार में खुशी का माहौल है। हमारी पीढी बदल गयी है। बेटे ने आज नाम रोशन कर दिया है। उन्होंने कहा कि जो बच्चा मेहनत करता है, भगवान उसे फल देता है।