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अब किसान पराली से भी पैसे कमाना जानता है , किसानों का कहना है की पराली जलाना हमारा काम नहीं

प्रतिवर्ष प्रदूषण का एक बड़ा कारण पराली के धुएं को बताया जाता है। हालांकि इस बार हरियाणा में कोई एक – दो को छोड़कर पराली जलाने का कोई खास मामला सामने नहीं आया क्योंकि आज का किसान जागरूक है और पराली से पैसे कैसे कमानें हैं। ये वो बहुत अच्छी तरह जानता है।


बढ़ते प्रदूषण का बड़ा कारण पराली जलाना माना जाता है, हालांकि अपने जिले में एक – दो को छोड़कर कोई ऐसा खास मामला नहीं आया।

अब किसान पराली से भी पैसे कमाना जानता है , किसानों का कहना है की पराली जलाना हमारा काम नहीं

दरअसल अपने जिले के किसान जागरूक हैं और वो पराली जलाना नहीं बल्कि इसके जरिए कमाना जानता है। गांव छांयसा के जगदेव, गांव अटाली के राजबीर और गांव कलेवरी के किसान धर्मपाल जागरूक किसान होने के ज्वलंत उदाहरण हैं।

इन किसानों का कहना है कि आम के आम और गुठलियों के दाम मिल रहे हैं, तो फिर भला पराली को क्यों जलाएं। इन किसानों ने हाल ही में अपनी धान की फसल की कटाई की थी। फसल मंडी में बेच आए और पराली को एकत्रित करके एक स्थान पर रख लिया है।

अब इसकी कुट्टी काट कर मंडी में बेचेंगे और आर्थिक लाभ लेंगे। काफी किसानों ने पराली की जुताई करके पानी भर दिया है। अब खेत में गेहूं की बोआई करेंगे।

गांव छांयसा के रहने वाले किसान जगदेव के अनुसार उन्होंने अपने खेत की पराली पशुपालक को 5000 रुपये में बेच कर आर्थिक लाभ उठाया है। उसने पराली को जलाने की बजाय आर्थिक रूप से प्रबंधन किया है। गांव अटाली के राजबीर सिंह ने अपनी पराली को एकत्रित करके रख लिया है और वह इसकी कुट्टी काट कर बेचेंगे।

पिछले वर्ष कुट्टी 140 से 300 रुपये प्रति कुंतल तक बिकी। गांव कलेवरी के किसान धर्मपाल ने तो अपने खेत की पराली को खेत में जोत कर पानी भर दिया। अब ये खेत में गल कर पूरी तरह से खाद बन जाएगी। इससे खेत की उर्वरा बढ़ेगी और कृषि मित्र कीट भी बचे रहेंगे। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग दे रहा उदाहरण

इन किसानों के कार्य को उदाहरण के रूप में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग नियमित रूप से दूसरे किसानों को भी बता रहे हैं और उन्हें पराली न जलाने के बारे में जागरूक कर रहे हैं।

पराली प्रबंधन के लिए जिले में चार गांव भसकौला, छांयसा, दयालपुर, फतेहपुर बिल्लौच में कस्टमर हायर सेंटर खोले हैं। यहां पर कृषि यंत्र रखे गए हैं। इन कृषि यंत्रों को किराये पर लेकर किसान पराली का प्रबंधन करा सकते हैं।

हमारे जिले के किसान पराली को लेकर पूरी तरह से जागरूक हो रहे हैं। अभी तक जिले में एक भी किसान ने पराली नहीं जलाई है। पराली न जलाने से हर जीव के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा और प्रदूषण भी कम होगा।

Avinash Kumar Singh

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