केंद्र सरकार ने शनिवार को वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के नतीजे जारी कर दिए। एक से 10 लाख की आबादी वाले शहरों की रैंकिंग में फरीदाबाद को 41 वां स्थान मिला है, जबकि पिछले साल इसे 38वां स्थान मिला था। इस तरह पिछले वर्ष की तुलना में जिले ने और भी बत्तर प्रदर्शन किया है। हालांकि, निगम अधिकारियों का स्वच्छ सर्वेक्षण में शहर को टॉप-10 की सूची में लाने का दावा एक बार फिर हवा हवाई साबित हुआ है।
नगर निगम की रैंकिंग में सुधार न आने का प्रमुख कारण नगर निगम क्षेत्र में सफाई व्यवस्था प्रमुख है। शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे रहते हैं। कई जगहों पर नगर निगम नियमित सफाई तक नहीं करा पा रहा है। इस साल जनवरी से स्वच्छ सर्वेक्षण शुरू हुआ था।
पिछले पांच वर्ष से केंद्र सरकार की ओर से स्वच्छ सर्वेक्षण प्रतिस्पर्धा करवाई जा रही है। इसमें हर बार फरीदाबाद भी हिस्सा लेता है। इस साल जनवरी से स्वच्छ सर्वेक्षण शुरू हुआ था। इसे लेकर नगर निगम ने तैयारी की थी जिससे कि स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छी रैंक आ सके लेकिन शनिवार को जारी रैंकिंग में ऐसा नहीं हो सका।
सरकार के वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर को लगातार पांचवीं बार सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया। वार्षिक स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2021 के परिणामों की घोषणा शनिवार को की गई। स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2021 में सबसे स्वच्छ शहरों में दूसरा स्थान सूरत को और तीसरा स्थान विजयवाड़ा को प्राप्त हुआ।
फरीदाबाद नगर निगम की ओर से हर वर्ष देश के टॉप-10 सूची में शामिल होने का दावा किया जाता है, लेकिन करोड़ों का सालाना बजट होने के बाद भी शहर पांच वर्षों में देश के 50 शहर की सूची में भी शामिल नहीं हो सका है।
स्वच्छता के मामले में स्मार्ट सिटी फरीदाबाद की रैंकिंग में उतार-चढ़ाव चल रहा है। साल 2017 में फरीदाबाद देशभर में 88वें स्थान पर था, जबकि साल 2018 में इसकी रैंकिंग पिछड़ कर 216 पर पहुंच गई थी। इसके बावजूद नगर निगम ने इसमें सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए और वर्ष 2019 में 227वें स्थान पर था। इस बार नियमों में हुए बदलाव के कारण 10 से अधिक आबादी वाले शहरों में फरीदाबाद 47 में से 38वें पायदान पर रहा। साल 2021 में 41वें स्थान पर है।
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा घोषित सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़ को भारत का सबसे स्वच्छ राज्य घोषित किया गया। सर्वेक्षण में वाराणसी को ”स्वच्छ गंगा शहर” की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि स्वच्छता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए और गांधी जी की इसी प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन को जनआंदोलन के रूप में आगे बढ़ाया।
इसे रोकने की जिम्मेदारी केवल सरकार की ही नहीं बल्कि समाज और देश के सभी नागरिकों की भी है।उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया है कि 35 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों तथा शहरी क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त हुए हैं।
जानकारों की मानें तो शहर को कम अंक मिलने के दो-तीन कारण प्रमुख हैं। इनमें घर-घर कूड़ा कलेक्शन शत-प्रतिशत न हो पाना, कूड़ा उठाने के लिए पर्याप्त संसाधन न होना, सूखा व गीला कूड़ा अलग-अलग न हो पाना और कूड़ा निस्तारण के लिए पर्याप्त व्यवस्था न होना आदि है।
उन्होंने सुझाव भी दिया कि सभी शहरों में मशीन से सफाई की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। राष्ट्रपति ने स्वच्छता पुरस्कार विजेता शहरों की अच्छी प्रथाओं एंव चलन को अपनाने की बात भी की।
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