विकास और विनाश एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी कंपनियों को स्थापित कर दिया जाता है जिसके परिणामस्वरूप वहां के स्थानीय लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पानीपत में ऐसा ही एक गांव है जहां के लोगों के लिए विकास बड़ी परेशानी का कारण बन गया। हरियाणा के पानीपत जिले में थर्मल पावर स्टेशन स्थापित है। इस पावर स्टेशन से भारी मात्रा में राख निकलती है जिसकी वजह से पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है। इस थर्मल की राख से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है।
थर्मल से निकलने वाली राख से कैंसर और अस्थमा जैसी कई भयानक बीमारियां फैलती है। इस पावर स्टेशन के आसपास के गांव तक थर्मल से निकलने वाली राख आसानी से वातावरण में फैल जाती है और गांव के तमाम लोग इन भयंकर बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।
हालात इतने गंभीर हैं कि लोगों का सांस लेना तक मुश्किल हो रहा है। गांव में करीब 3000 लोग रहते हैं और इनमें से 90 प्रतिशत लोग चमड़ी और दमे की बीमारी से पीड़ित हैं। सीमेंट प्लांट और थर्मल पावर स्टेशन से उड़ने वाली राख से इस गांव में चमड़ी का रोग दिन–प्रतिदिन फैलता जा रहा है। यही वजह है कि इस गांव के हर घर में एक चमड़ी का रोगी मिलेगा। कई ग्रामीण दमा और टीबी की बीमारी से भी पीड़ित हैं।
थर्मल के साथ बढ़ती गई झील
आपको बता दें कि थर्मल की राख डालने के लिए एक झील बनाई गई थी। 1974 में इसका पहला हिस्सा शुरू हुआ था तब थर्मल की चार यूनिटों से बिजली उत्पादन होता था। झील 768 एकड़ में थी। 2006 में थर्मल की पांच से आठ तक नई यूनिट शुरू की गई। इसमें 436 एकड़ में झील का नया हिस्सा बनाया गया जिसके बाद झील 1204 एकड़ तक फैल गई। अनुमान के अनुसार शायद यह देश की सबसे बड़ी राख की झील है।
ग्रामीणों का कहना है कि वे लोग पिछले कई सालों से नरक जैसा जीवन जी रहे हैं। स्थिति की गंभीरता का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांव के युवाओं से कोई भी लड़की शादी तक नहीं करना चाहती। उन्हें भी इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं वो भी इन बीमारियों से ग्रसित न हो जाएं।
पिछले 8 से 9 साल से यहां शादी के लिए बहुत ही कम रिश्ते आ रहे हैं और शादी भी बहुत कम हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि रिश्तेदार भी उनके घरों में नहीं रुकते हैं। उन्हें भी इसी बात का डर रहता है कि कहीं वह भी इन बीमारियों से ग्रसित न हो जाएं।
ध्यान दें कि करीब 2012 में ही सरकार द्वारा ग्रामीणों को दूसरी जगह शिफ्ट करने के आदेश दिए थे लेकिन सिस्टम की लापरवाही के कारण अभी तक गांव शिफ्ट नहीं हो पाया है। गांव के लोगों को सरकार ने जमीन भी दे दी है लेकिन अभी उस पर काम काफी धीमी गति से हो रहा है। 8 साल से भी अधिक समय बीत गया है लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।
सीधे तौर पर कहे तो विकास के नाम पर ग्रामीणों के जीवन के साथ केवल खिलवाड़ हो रहा है। सरकार को जल्द से जल्द गांव के लोगों को दूसरी जगह विस्थापित करना चाहिए और अच्छी स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करें इन्हें तमाम बीमारियों से स्वस्थ भी बनाना चाहिए।
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