Categories: GovernmentIndia

इन शानदार महिलाओ की कहानी पढ़कर आप भी हो जायेंगे प्रेरित ,अपने हौसले से बनी देश के लिए मिसाल

आज कल की महिला भी पुरुष से आगे निकल रही है। वे हर काम बदमान लगन से करती है साथ ही वे कई कार्य घर के भी करती है। अब महिलाय पुरुष का मुकाबला कर रही है। ऐसी ही कुछ महिलाओ की कहानी बताने जा रहे है। साहस से कामयाबी की दास्तां लिखने वाली भारत के इन महिला सूरमाओं की कहानी। महिलाएं एथलीट जिन्हें समाज के पुराणी धारणाओं और लोगों की पुरानी सोच से पार पाकर अपने लक्ष्य को पूरा करने के निरंतर मेहनत और मन में साहस की जरूरत होती है।

इन शानदार महिलाओ की कहानी पढ़कर आप भी हो जायेंगे प्रेरित ,अपने हौसले से बनी देश के लिए मिसाल

कई ऐसी महिला है जिन्होंने कई दूसरी महिलाओ को भी प्रेरित किया है। जैसे की पलक कोहली, आरती पाटिल, ज्योति पाटिल और सुवर्णा राज जिन्होंने संघर्ष और मुश्किलों से भरे सफर में मजबूत संकल्प से कामयाबी की नई पटकथा लिखकर लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है।

ऐसे ही महिला एथलीटों के लिए शानदार पहल कर रही है वेलस्पन फाउंडेशन फॉर हेल्थ एंड नॉलेज जो अवसर की कमी या संसाधनों के अभाव में गुम हो रही प्रतिभाओं को उनके लक्ष्य को हासिल कराती है। इस फाउंडेशन ने देश की महिला एथलीटों को सशक्त बनाने के लिए, ‘वेलस्पन सुपर स्पोर्ट महिला कार्यक्रम की शुरुआत की है।

फाउंडेशन का मुख्य लक्ष्य ज़मीनी स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक, खेल के विभिन्न चरणों में मेंटरशिप और वित्तीय सहायता के माध्यम से, होनहार युवा महिला प्रतिभागियों का गाइडेंस करना तथा उन्हें बढ़ावा देना है।

अगर बात करे पालक कोहली रीबन पांच साल पहले स्कूल में अपने दोस्तों के साथ हैंडबॉल खेलने का प्रयास करने वाली पलक के बाएं हाथ में जन्म से ही विरूपणहै, इसलिए उनकी एक टीचर ने खेल क्षेत्र में न जाने की सलाह दी थी। टीचर द्वारा कही गई बात सुनकर पलक बेहद परेशान हो गईं।

वह कहती हैं कि उन्हें ये सोच कर काफी हैरानी हुई कि कोई दूसरा उनके भाग्य का फैसला कैसे कर सकता है या फिर कोई उन्हें यह कैसे बता सकता है कि उन्हें क्या करना है। फिर इस एक वाक्य ने पलक को खेल के प्रति रूचि लगा दी।

एक साल बाद ही पलक ने साल 2017 में ही बैडमिंटन खेलने के लिए ट्रेनिंग शुरू कर दी और साल 2020 में टोक्यो पैरालंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया। पलक दुनिया की सबसे कम उम्र की बैडमिंटन खिलाड़ी बनने का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया। पलक आज उसी स्कूल में स्पोर्ट्स कैप्टन हैं |

39 साल की अंतरराष्ट्रीय पैरा-एथलीट सुवर्णा राज कहती है कि जीवन में हर बिंदु पर, मुझे संघर्ष करना पड़ा है। चाहे वह मेरे शैक्षणिक संस्थान में, मेरे जैसे दिव्यांगों के लिए सुगमता या समान अवसर और संसाधनों की व्यवस्था की मांग हो।

मेरी ये मांगें, हर किसी के लिए एक शानदार दुनिया बनाने का एक निरंतर प्रयास है। देशभर में कई लोगों के लिए प्रेरणा बनी सुवर्णा की मां पैरा-टेबल-टेनिस खिलाड़ी, एक्टिविस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता और एक एक्सेसिबिलिटी काउंसलर भी हैं।

थाईलैंड पैरा टेबल टेनिस ओपन 2013’ में दो पदक और कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली सुवर्णा कहती है कि जब 2 साल की थी जब मेरे दोनों पैरों में पोलियो हो गया। मेरे परिवार ने मुझे बहुत कम उम्र में ही, एक हॉस्टल में भर्ती कराया था और मैंने वहां पूरा एक दशक बिताया।
खुद की रोल मॉडल बताने वाली सुवर्णा अभी तक कई अवार्ड से नवाजी जा चुकी है‌।

2013 में खेल के लिए ‘राष्ट्रीय महिला उत्कृष्टता पुरस्कार’, 2015 में ICONGO द्वारा ‘कर्मवीर पुरस्कार’ और 2017 में प्रतिष्ठित ‘नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसएबल्ड पीपल व यूनिवर्सल डिजाइन अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

कहानी मुंबई की दो जुड़वा बहनें आरती पाटिल और ज्योति पाटिल की जिन्होंने महज 23 साल की उम्र में 55 राष्ट्रीय पदक जीते हैं। स्पोर्ट्स में भविष्य संवारने के लिए परिवार से भरपूर समर्थन मिला है और वे दोनों बहनें ऐसे परिवार में जन्म लेना, एक वरदान मानती हैं।

23 साल की उम्र में 30 राष्ट्रीय पदक जीतने वाली आरती बताती है कि महज 9 साल की उम्र में ही परिवार वालों ने हमें तैराकी के गुर सिखाने लगे थे। बेहतरीन तैराक आरती के पिता ने साल 2003 में ग्रीस में, 13 घंटे और 10 मिनट में समुद्री मैराथन पूरा किया था। अपने पिता को आदर्श मानने वाली दोनों बहनों ने पिता से ही सीख ले कर महज चार साल की उम्र में तैराकी की शुरुआत कर दी थी।

दूसरी बहन ज्योति जिन्होंने में 25 राष्ट्रीय पदक अपने नाम किया है वह कहती है कि पिता मुंबई पुलिस में कॉन्स्टेबल हैं। रात को ड्यूटी करने के बाद सुबह घर लौटते ही हमारी ट्रेनिंग पर अपना पूरा समय देते हैं। ट्रेनिंग की शुरुआत सुबह 6:30 बजे से होती है जो कि 11:00 बजे तक चलती है। शाम के समय भी दो घंटे हम लोगों की ट्रेनिंग होती है। पिछले कई वर्षों से इस दिनचर्या और अनुशासन से ही हमने बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

Avinash Kumar Singh

Recent Posts

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती – रेणु भाटिया (हरियाणा महिला आयोग की Chairperson)

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसके लिए मैं कुछ भी कर…

2 months ago

नृत्य मेरे लिए पूजा के योग्य है: कशीना

एक शिक्षक के रूप में होने और MRIS 14( मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 14)…

2 months ago

महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस पर रक्तदान कर बनें पुण्य के भागी : भारत अरोड़ा

श्री महारानी वैष्णव देवी मंदिर संस्थान द्वारा महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस के उपलक्ष्य में…

2 months ago

पुलिस का दुरूपयोग कर रही है भाजपा सरकार-विधायक नीरज शर्मा

आज दिनांक 26 फरवरी को एनआईटी फरीदाबाद से विधायक नीरज शर्मा ने बहादुरगढ में दिन…

2 months ago