आपने आजतक इंसानों के बारे में सुना होगा कि वह करोड़पति होते हैं, लेकिन इस मामले में इंसान नहीं कुत्ते करोड़पति मिलेंगे। दरअसल, गुजरात के मेहसाणा स्थित पंचोट गांव में खास तरह के जमींदार मौजूद हैं, जो अकसर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। दरअसल ये जमींदार इंसान नहीं बल्कि गांव में मौजूद कुत्ते हैं, जो करोड़पति हैं।
शायद आपको समझ नहीं आ रहा होगा। ज्यादा सोचें न। ये कुत्ते गांव में एक ट्रस्ट के नाम से पड़ी जमीन से करोड़ों कमाते हैं। दरअसल पिछले करीब एक दशक से जबसे मेहसाणा बाइपास बना है, इस गांव में स्थित जमीनों के दाम आसमान छूने लगे हैं और इसका सबसे बड़ा फायदा हुआ है गांव के कुत्तों को।
गांव की पेहचान अब राष्ट्रिय स्तर पर बन रही है। हर कोई इसे जान रहा है। यहां के एक ट्रस्ट ‘मढ़ नी पती कुतरिया ट्रस्ट’ के पास 21 बीघा जमीन है। मगर इस जमीन से होने वाली सारी आय इन कुत्तों के नाम कर दी जाती है। बाइपास के पास स्थित इस जमीन की कीमत करीब 3.5 करोड़ रुपये प्रति बीघा है। ट्रस्ट के पास करीब 70 कुत्ते हैं।
इस खबर को सुनकर लोग हैरान हो जाते हैं लेकिन यह खबर सच है। हर कुत्ते के हिस्से करीब 1-1 करोड़ रुपये आराम से आ जाते हैं। ट्रस्ट के अध्यक्ष छगनभाई पटेल के अनुसार, कुत्तों के लिए उनका हिस्सा अलग करने की परंपरा की जड़ आपको गांव की सदियों पुरानी ‘जीवदया’ प्रथा में मिलती है। इस परंपरा की शुरुआत अमीर परिवारों द्वारा दान दिए गए जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों से हुई थी।
उस समय शुरू की गयी यह चीज आज वायरल होगी कहा नहीं जा सकता है। उस समय जमीन की कीमत इतनी ज्यादा नहीं थी। कई मामलों में तो लोगों ने इसलिए जमीन दान कर दी, क्योंकि वे उस पर लगने वाला टैक्स नहीं चुका पा रहे थे।
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