Categories: Government

आंदोलनकारियों की हरियाणा सरकार से वार्ता रही विफल, आज फिर होगी बैठक, रखे जायेंगे यह मुद्दे

हरियाणा सरकार और किसान नेताओं के बीच शुक्रवार को हुई दो दौर की बैठक बेनतीजा रही। आंदोलन में मृत किसानों के परिजनों को नौकरी, गंभीर अपराधों में दर्ज केस वापस लेने और मुआवजे सहित अन्य मुद्दों को लेकर दो घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में किसी भी मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई। 

सरकार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने बिना शर्त किसानों की सबसे बड़ी मांग मान ली है। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी की गारंटी संबंधी कानून बनाने के लिए केंद्रीय कमेटी के गठन की दिशा में सरकार पूरी गंभीरता के साथ आगे बढ़ रही है। ऐसे में अब आंदोलन को बरकरार रखने का कोई औचित्य नहीं है।

आंदोलनकारियों की हरियाणा सरकार से वार्ता रही विफल, आज फिर होगी बैठक, रखे जायेंगे यह मुद्दे

हरियाणा सरकार के बुलावे पर शुक्रवार शाम पांच बजे भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी, रतन मान समेत आठ सदस्यीय किसानों का प्रतिनिधिमंडल सीएम आवास पहुंचा। सरकार की तरफ से खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल, प्रधान सचिव वी उमाशंकर, सीआईडी चीफ आलोक मित्तल और एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन मौजूद रहे।

शाम 6 बजे से रात 8 बजे तक चली बैठक में किसानों ने अपनी मांगें दोहराई। इस दौरान किसान नेताओं ने 45 हजार किसानों पर दर्ज 200 एफआईआर रद्द करने की मांग रखी। इनमें देशद्रोह से लेकर हत्या के प्रयास समेत गंभीर धाराओं में भी कुछ मामले शामिल हैं।

गुरनाम सिंह चढूनी ने दावा किया कि प्रदेश सरकार किसी भी मुद्दे को मानने के लिए सहमत नहीं हुई है, इसलिए मुख्यमंत्री के साथ हुई बातचीत का पूरा मसौदा शनिवार यानी आज संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के समक्ष रखा जाएगा। उस बैठक में तय होगा कि आगे किस तरह की रणनीति रहेगी। किसान संगठनों की ओर से बातचीत में गुरनाम सिंह चढूनी के अलावा भाकियू नेता रतन मान, राकेश बैंस, अभिमन्यु कुहाड़, रामपाल चहल, जरनैल सिंह, जोगेंद्र नैन और इंद्रजीत शामिल हुए।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं में इस बातचीत को लेकर मतभेद उभकर सामने आने की बात कही जा रही है। संयुक्त किसान मोर्चा के कई सदस्य इस बात से नाराज हैं।  बातचीत में गुरनाम सिंह चढूनी अकेले क्यों शामिल हुए, जबकि उन्हें संयुक्त किसान मोर्चा के बाकी नेताओं के साथ ही वार्ता में जाना चाहिए था। संयुक्त किसान मोर्चा की शनिवार को होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर घमासान मच सकता है। संयुक्त किसान मोर्चा की चार दिसंबर की यह बैठक दिल्ली बार्डर पर होगी, जिसमें अगली रणनीति तैयार की जाएगी।

मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि हरियाणा सरकार की ओर से किसानों पर दर्ज मुकदमों में से सामान्य घटनाओं से जुड़े केस वापस लेने पर सहमति बन गई थी। कई मुकदमे ऐसे हैं, जो गंभीर अपराध की श्रेणी में आते हैं। किसान संगठन चाहते थे कि हर तरह के मुकदमों को रद किया जाए, जबकि बहुत से केस तो कोर्ट में चल रहे हैं।

  केंद्र सरकार की ओर से किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने के लिए राज्यों पर ही फैसला छोड़ा हुआ है, लेकिन प्रदेश सरकार को इन मुकदमों को वापस लेने के लिए बीच का रास्ता निकालने का कोई समय संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से नहीं दिया गया है।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बैठक में जब शहीद हुए किसानों की याद में सोनीपत के आसपास शहीद स्मारक बनाने के लिए जमीन की मांग रखी तो सुझाव आया कि सारी जमीन के मालिक खुद किसान हैं। संयुक्त किसान मोर्चा यदि चाहता है कि वास्तव में स्मारक बने तो सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं है।

लेकिन सरकार इसके लिए जमीन नहीं देगी, बल्कि किसान संगठन खुद चाहें तो मिलकर किसी भी किसान से यह जमीन खरीद सकते हैं। वार्ता में सरकार की ओर से किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को रात्रिभोज का निमंत्रण दिया गया था, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया।

Avinash Kumar Singh

Recent Posts

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती – रेणु भाटिया (हरियाणा महिला आयोग की Chairperson)

मैं किसी बेटी का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसके लिए मैं कुछ भी कर…

2 months ago

नृत्य मेरे लिए पूजा के योग्य है: कशीना

एक शिक्षक के रूप में होने और MRIS 14( मानव रचना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 14)…

2 months ago

महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस पर रक्तदान कर बनें पुण्य के भागी : भारत अरोड़ा

श्री महारानी वैष्णव देवी मंदिर संस्थान द्वारा महारानी की प्राण प्रतिष्ठा दिवस के उपलक्ष्य में…

2 months ago

पुलिस का दुरूपयोग कर रही है भाजपा सरकार-विधायक नीरज शर्मा

आज दिनांक 26 फरवरी को एनआईटी फरीदाबाद से विधायक नीरज शर्मा ने बहादुरगढ में दिन…

2 months ago