कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉक डाउन लागू होने के उपरांत यातायात के साधनों पर अंकुश लगा दिया गया था। हालाकि लॉक डॉउन के पांचवे चरण में भले ही हरियाणा सरकार ने रोडवेज बसों को फर्राटे भरने की अनुमति दी, लेकिन रोडवेज विभाग अभी भी आर्थिक तंगी की परिस्थितियों से उभर पाने में नाकामयाब साबित हो रहा है।
क्योंकि दिशा निर्देशों के अनुसार बस में सोशल डिस्टेंस तो बरकरार रखने के बाद ही बस अपनी रूट के लिए रवाना हो सकती है। लेकिन बावजूद सोशल डिस्टेंस के कारण एक बस में कम यात्रियों को बैठाना पड़ता है, जिस कारणवश रोडवेज विभाग को भारी नुकसान पहुंच रहा है।
रिपोर्ट अनुसार जून 2019 की अपेक्षा लगभग 88 प्रतिशत कम सफर तय किया है। यहीं नहीं जून 2019 की अपेक्षा आमदनी लगभग 94 प्रतिशत कम हुई है। अप्रैल व मई में तो रोडवेज की बसें ठीक ढंग से बस अड्डे के गेट से बाहर भी नहीं निकल पाई थी।
दरअसल औसतन हर माह रोडवेज विभाग अपनी बसों के माध्यम से 3 से 4 करोड़ रुपए की आमदनी करता था परंतु कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा 23 मार्च से लगाए गए लॉकडाउन की वजह से रोडवेज की बसों की सेवाएं पूरी तरह से बंद कर दी गई थी।
अप्रैल प्रशासनिक ड्यूटी में ही भेजा गया था। हालांकि मई के अंत में चुनिंदा बसें यात्रियों के लिए भी सड़कों पर उतरनी शुरु हो गई है। 1 जून को मिली लोगों को घरों से बाहर निकलने की सशर्त छूट के बाद उम्मीद की जा रही थी कि अब फिर से रोडवेज की बसें अपनी पूरी क्षमता से सड़कों पर उतर पाएंगी।
इसके लिए विभाग ने शुरुआत में 30 बसों का रोड चार्ट भी तैयार किया था परंतु यात्रियों की कमी की वजह से रोडवेज अपेक्षाकृत अपनी बसों को सड़कों पर नहीं उतार पा रहा है जिसकी वजह से उसे घाटा पड़ रहा है।
मंगलवार को सोनीपत बस अड्डे पर सुबह गुरुग्राम रुट पर महज 3 सवारियां होने की वजह से गुरुग्राम की बस को रद्द करना पड़ा। हालांकि इसके बावजूद दिन भर में विभिन्न रुटों पर रोडवेज ने 26 बसों को चलाया गया जिस तहत सोनीपत से रोहतक, सोनीपत से पानीपत, सोनीपत से गोहाना, सोनीपत से बड़ौत, सोनीपत से बागपत, सोनीपत से कुंडली आदि रुट शामिल थे। यात्रियों की कमी की वजह से हर रोज 20 से 26 बसें की सड़कों पर उतर पा रही है। ऐसे में रोडवेज विभाग की आमदनी भी अपेक्षाकृत कम हो रही है।
यही कारण है कि रोडवेज विभाग घाटे के चलते बसों को सड़क पर उतार रही है। बस में कम यात्री होने के कारण बस का किराया बढ़ाने का निर्णय लिया गया,जिसके बाद आमजन को यह तरकीब कतराने लगी ।
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