केंद्र सरकार ने पिछले कई दिनों से New Wage Code नोटिफिकेशन लागू करने के लिए कई तिथियां जारी कर चुकी है। लेकिन कई राज्यों की तरफ से इस संदर्भ में कोई ड्राफ्ट रूल्स नहीं भेजे गए हैं जिसकी वजह से यह मामला अटका हुआ था। वहीं एक बार फिर नए वेज कोड को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। एक अक्टूबर 2021 से नया वेज कोड लागू होना था लेकिन श्रम मंत्रालय ने इसे टाल दिया। अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि इसे नए साल से लागू किया जा सकता है।
अगर ऐसा हुआ तो नौकरी करने वालों की सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। कर्मचारियों की Take Home Salary में भी कमी आ सकती है।
फिलहाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मध्य प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर ने ड्राफ्ट रूल्स को केंद्र सरकार को जमा किया है। लेकिन, हरियाणा, मेघालय, छत्तीसगढ़, गोवा, सिक्किम, त्रिपुरा और झारखंड के ड्राफ्ट रूल्स अंतिम चरण में हैं। लेकिन केंद्र सरकार को भेजे नहीं गए हैं।
क्या है नया वेज कोड?
29 श्रम कानूनों को मिलाकर सरकार द्वारा चार नए वेज कोड तैयार किए गए हैं। ये चार कोड हैं:
वेज कोड एक्ट, 2019 के अनुसार किसी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी कंपनी की लागत के 50 परसेंट से कम नहीं हो सकती है। अभी कई कंपनियां बेसिक सैलरी को काफी कम करके ऊपर से भत्ते ज्यादा देती हैं ताकि कंपनी पर बोझ न पड़े।
पूरी तरह बदल जाएगा सैलरी स्ट्रक्चर
गौरतलब है कि वेज कोड एक्ट, 2019 के लागू होने के बाद कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर पूरी तरह बदल जाएगा। कर्मचारियों की ‘Take Home Salary’ घट जाएगी, क्योंकि Basic Pay बढ़ने से कर्मचारियों का PF ज्यादा कटेगा यानी उनका भविष्य ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा। पीएफ के साथ-साथ ग्रैच्युटी (Monthly Gratuity) में भी योगदान बढ़ जाएगा।
यानी टेक होम सैलरी जरूर घटेगी लेकिन कर्मचारी को रिटायरमेंट पर ज्यादा रकम मिलेगी। असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी नया वेज कोड लागू होगा। सैलरी और बोनस से जुड़े नियम बदलेंगे और हर इंडस्ट्री और सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी में समानता आएगी।
इन मुद्दों पर नियमों में होगा बदलाव
कर्मचारियों के काम के घंटे, सालाना छुट्टियां, पेंशन, पीएफ, टेक होम सैलरी, रिटायरमेंट जैसे अहम मुद्दे पर नियमों में बदलाव होना है। श्रम मंत्रालय के लेबर रिफॉर्म सेल के एक अधिकारी का कहना है कि लेबर यूनियन ने पीएफ और सालाना छुट्टियों को लेकर मांग रखी है। यूनियन की मांग है कि Earned leave को 240 से बढ़ाकर 300 कर देना चाहिए।
अब बढ़ेगी कंपनियों की सिरदर्दी
कर्मचारियों का सीटीसी कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है जैसे बेसिक सैलरी, मकान का किराया, पीएफ, ग्रेच्युटी, LTC और मनोरंजन भत्ता आदि। नया वेतन कोड नियम लागू होने पर कंपनियों को यह तय करना होगा कि बेसिक सैलरी को छोड़कर सीटीसी में शामिल किए जाने वाले दूसरे फैक्टर 50 परसेंट से ज्यादा न होने पाएं। यह कंपनियों का सिरदर्द बढ़ा सकता है।
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