Categories: Government

दिल्ली एनसीआर का हरियाणा की पराली से नही घुटेगा दम, इस नए अविष्कार से किसानो को हो रहा है फायदा

पराली का नाम सुनते ही हमारे मन में एक दृश्य दिखाई देता है जिसमें बड़े-बड़े खेतों में आग लगी हुई है उस आग से निकलता हुआ धुंआ दिल्ली एनसीआर की ओर बढ़ रहा है और उस आग के धुए से प्रदूषण उत्पन्न हो रहा है और उस प्रदूषण से लोगों को परेशानी हो रही है आज भी कई राज्यों में पराली की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है हर साल किसान फसलों को काटकर पराली जला देते हैं जिससे प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है वही किसान भी इस पराली का क्या करें उनके लिए भी यह एक चिंता का विषय है

लेकिन 2 युवाओं में पराली के लिए सही विकल्प ढूंढा है यह दोनों युवा आईटी हैदराबाद में डिजाइनिंग विभाग में है जिन्होंने पराली से ईट बनाने का अविष्कार किया है पराली से ही थे बनाने का विस्तार करने वाले युवाओं के नाम है प्रियव्रत रावत राय और अब एक राय यह दोनों युवा मिलकर पराली से ही तैयार कर रहे हैं

अविक बताते हैं, “डिज़ाइन में मास्टर्स की डिग्री करने के बाद, हम दोनों ही दिल्ली में अलग-अलग इंडस्ट्रीज में काम कर रहे थे। साल 2011 में, हमने साथ में मिलकर अपना Design firm, “R Square Dezign” शुरू किया। हमने कई डिजाइनिंग प्रोजेक्ट्स किए। लेकिन पिछले कुछ सालों में, जब दिल्ली से बढ़ रहे प्रदूषण पर चर्चा बढ़ी तो हमारा ध्यान इस ओर गया। एक तरफ पराली की समस्या थी और दूसरी तरफ कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में बढ़ती ईंट की मांग। काफी समय तक विचार-विमर्श करके हमने इन दोनों परेशानियों का एक हल ढूंढ़ा और वही हल है Bio Brick।”

प्रियब्रत बताते हैं कि एक तरफ पराली जलाने के कारण बढ़ रहे पराली जलाने की समस्या थी, तो दूसरी तरफ किसान, जिनके पास पराली के प्रबंधन का कोई ठोस समाधान नहीं। वहीं, कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री की बात करें, तो यह सच है कि पर्यावरण को हानि पहुंचाने के लिए यह इंडस्ट्री भी जिम्मेदार है। देश में लगभग 140000 ईंटों की भट्ठियां हैं, लेकिन फिर भी निर्माण कार्यों के लिए ईंटों की आपूर्ति नहीं हो पाती है। साथ ही, ईंट बनाने के लिए मिट्टी की सबसे ऊपर परत का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके कारण मिट्टी की गुणवत्ता घट रही है। 

ईंट की ये भट्ठियां न सिर्फ बहुत ज्यादा ऊर्जा लेती हैं, बल्कि इनसे होने वाला प्रदूषण भी काफी ज्यादा है। इस कारण अविक और प्रियब्रत ने सोचा कि कृषि अपशिष्ट यानी farm waste को कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के लिए  क्यों  इस्तेमाल नहीं किया जा सकता? उन्होंने साल 2015 से इस पर काम करना शुरू कर दिया था। सबसे पहले उन्होंने अलग-अलग फसलों जैसे गन्ना, गेहूं और चावल आदि के अपशिष्ट पर रिसर्च करना शुरू किया।

deepika gaur

Published by
deepika gaur

Recent Posts

अब से Haryana रोडवेज़ की बसों पर देखने को मिलेगा यह नया स्लोगन, परिवहन मंत्री अनिल विज ने जारी किए आदेश 

अभी तक प्रदेश की जनता ने हरियाणा रोडवेज की बसों पर सिर्फ़ 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ'…

7 days ago

आज जारी हो सकता है Haryana बोर्ड की कक्षा 10वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक 

प्रदेश के जिन छात्रो ने इस साल हरियाणा बोर्ड की 10वीं कक्षा के एग्जाम दिए…

7 days ago

Haryana के इस जिले की बेटी ने बिना ट्यूशन के ही 12वीं में हासिल किए 95.6%, यहाँ पढ़े पूरी खबर 

अभी हाल ही में हरियाणा शिक्षा बोर्ड ने 12 वी का रिज़ल्ट जारी किया है,…

1 week ago

इस फसल की खेती करने पर Haryana के किसानों को मिलेंगे प्रति एकड़ 1 हजार रूपये, यहाँ पढ़े पूरी ख़बर 

हरियाणा सरकार आए दिन प्रदेश की जनता के हित में कार्य कर रही है, ताकि…

1 week ago

Haryana के इन जिलों में होगा मॉक ड्रिल, यहाँ जाने इससे जुड़ी सभी जानकारी 

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा में सतर्कता…

2 weeks ago

Haryana शिक्षा बोर्ड ने 10वीं के परिणाम घोषित करने से पहले लिया यह बड़ा फैसला, यहाँ पढ़ें पूरी खबर 

प्रदेश के जिन छात्रों ने इस बार दसवीं की परीक्षा दी है यह खबर उनके…

2 weeks ago