एक बार फिर सताने लगा लॉक डाउन का डर, प्रवासी मजदूर काम ना मिलने से जा रहे है घर

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 एक बार फिर सताने लगा लॉक डाउन का डर, प्रवासी मजदूर काम ना मिलने से जा रहे है घर

एक बार से महामारी के बढ़ते कदम लॉकडाउन की और इशारा कर रहे है वही इससे प्रवासी मजदूरों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी है जिससे एक फिर से मजदूरों के पलायन का नजारा साफ दिखाई दे रहे है वही गुरुग्राम में रहने वाले मजदूरों ने एक फिर से घर की और रुख करना शुरू कर दिया है। पलायन का पहला नजारा गुरुग्राम में देखा गया । जंहा महामारी की पाबंदियों के कारण इनको बीच दिहाड़ी में से वापस आना पड़ा ।

देश के साथ साथ हरियाणा में भी महामारी की पाबंदियों लग गई है सबसे पहले नाइट कर्फ्यू लगाया गया उसके बाद अनेकों पाबंदियां लगाई जा रही है जिसके कारण मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है वही अपने घरों से मिलो दूर काम की तलाश में यह मजदूर एक बार फिर से अपने घर की ओर पलायन करते हुए नजर आ रहे हैं मंगलवार को पलायन करते मजदूरों को देखा क्या इन लोगों को फिर से लॉकडाउन का डर सता रहा है ।

एक बार फिर सताने लगा लॉक डाउन का डर, प्रवासी मजदूर काम ना मिलने से जा रहे है घर

यदि लॉकडाउन लगा तो एक बार फिर से भूखों मरने की नौबत आ जाएगी वही ड्राइवर का काम करने वाले अरविंद कुमार यादव ने बताया कि गुड़गांव में भी लॉक डाउन की स्थिति उत्पन्न हो गई है इसलिए अपने मूल राज्य वापस लौटने का फैसला किया है महामारी के दौरान यहां पर कोई भी काम मुझे नहीं मिल रहा है बिना आमदनी के गुजारा करना परेशानी में डालता है।

जैसे ही देश में महामारी ने दस्तक दी थी उसके कुछ दिनों बाद ही लोग घरों से बेघर हो गए थे एक ऐसा मंत्र देश में देखने को मिला जहां हर व्यक्ति त्राहि-त्राहि में जा रहा था कोई अपने खाने के लिए परेशान था तो कोई जीवन यापन के लिए हालांकि सरकार ने प्रत्येक तरह की मूलभूत सुविधाएं देने का प्रयास किया लेकिन इतने बड़े जनसंख्या वाले देश में सभी की मूलभूत सुविधाओं को पूरा करना सरकार के लिए भी एक बड़ा प्रश्न साबित होता है।

एक बार फिर सताने लगा लॉक डाउन का डर, प्रवासी मजदूर काम ना मिलने से जा रहे है घर

एक बार फिर से प्रवासी मजदूरों में वही लॉक डाउन का डर सताने लगा है और अपने मूल राज्य की ओर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं फरीदाबाद में एक औद्योगिक नगर है जिसमें हर राज्य प्रांत से लोग यहां पर नौकरी पेशा मजदूरी के लिए आते हैं लाखों लोगों का घर यहां पर कारखानों और मजदूरी के भरोसे चलता है।