हारने का लगाना है शतक, 94वे चुनाव का फिर भरा पर्चा, राष्ट्रपति पद के लिए भी भर चुके है नामांकन, जानिए कौन है यह उम्मीदवार

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 हारने का लगाना है शतक, 94वे चुनाव का फिर भरा पर्चा, राष्ट्रपति पद के लिए भी भर चुके है नामांकन, जानिए कौन है यह उम्मीदवार

जीतने के जुनून की कहानी तो आपने हजारों बार सुनी होंगी, लेकिन आज एक ऐसे उम्मीदवार की कहानी सुनाने जा रहे है जो हारने का रिकार्ड बनाना चाहता है । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है जिसमे आगरा के रहने वाले हसनुराम अंबेडकरी ने अपना पर्चा भरा है

आपको बता दे की हसनुराम का एक सपना है की वो हारने में शतक लगाना चाहता है अब तक हसनुराम 93वे बार चुनावी पर्चा भर चुके है और इस बार 94वी बार चुनाव नामांकन पर्चा भरा है

हारने का लगाना है शतक, 94वे चुनाव का फिर भरा पर्चा, राष्ट्रपति पद के लिए भी भर चुके है नामांकन, जानिए कौन है यह उम्मीदवार
हारने का लगाना है शतक, 94वे चुनाव का फिर भरा पर्चा, राष्ट्रपति पद के लिए भी भर चुके है नामांकन, जानिए कौन है यह उम्मीदवार

कौन है हसनुराम अंबेडकरी

खेरागढ़ के नगला दूल्हे निवासी हसनुराम आंबेडकरी 75 वर्ष के है जो 94वीं बार निर्दलीय चुनाव लडने के लिए कलेक्ट्रेट पर्चा लेने पहुंचे । नामांकन से पहले 37 पर्चे बिके जिसमे 1 किन्नर, 2 महिला और 34 पुरुषो ने पर्चे लिए इसमें हसनुराम की कहानी सबसे अलग और प्रभावशाली थी

हसनुराम अब तक 93वे बार चुनाव लड़ चुके है और उनका यह जज्बा आज भी कायम है और फिर उसी गर्मजोशी के साथ 94वीं बार नामांकन का पर्चा भरने के लिए पहुंचे और चुनाव लडने की तैयारी कर ली है । हसनुराम ने बताया कि वह सन 1985 से अलग अलग 93 चुनाव लड़ चुके है और वह 100 बार हारने का रिकार्ड बनना चाहते है

हारने का लगाना है शतक, 94वे चुनाव का फिर भरा पर्चा, राष्ट्रपति पद के लिए भी भर चुके है नामांकन, जानिए कौन है यह उम्मीदवार

हसनुराम आगे बताते है की उन्होंने कभी चुनाव पर खर्च नही क्या उन्होंने यह भी कहा की उन्होंने एक बार राष्ट्रीय पद के लिए भी नामांकन किया था लेकिन पर्चा निरस्त हो गया

हारने का लगाना है शतक, 94वे चुनाव का फिर भरा पर्चा, राष्ट्रपति पद के लिए भी भर चुके है नामांकन, जानिए कौन है यह उम्मीदवार

चुनाव लडने की हुई धुन सवार

उन्होंने बताया की वह तहसील में 1984 में सरकारी अमीन थे तब उनको चुनाव लडने की इच्छा हुई तो उन्होंने एक पार्टी से टिकट मांगा तब उनका मजाक बनाया गया और कहा की तुम्हे कोई घर से वोट नही देगा तब से हसनूराम को चुनाव लडने की ऐसे धुन सवार हुई की अब तक वो 93 बार चुनाव लड़ चुके है