भारत में अनेकों ऐसी चीज़े हैं, जो कि नई पीढ़ी के लिए गर्व की बात होंगी | लेकिन दहेज प्रथा और बाल विवाह जैसी चीज़े उस गर्व पर कलंक के समान है। 1978 में शारदा अधिनियम में संशोधन के बाद लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 15 से बढ़ाकर 18 वर्ष की गई थी।
बाल विवाह अधिनियम के मुताबिक भारत में शादी के लिए लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। लेकिन अभी भी बहुत से क्षेत्रों में 14-15 साल की उम्र में लड़की की शादी कर दी जाती है।
14-15 साल की उम्र तो बच्चे को कुछ समझ ही नहीं होती और उसकी शादी करवा दी जाती है | इस पीछे के सदियों पुरानी बातें हैं जो आज तक अब बदल नहीं सके।
लेकिन अब सरकार लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने पर विचार कर रही है। केंद्र सरकार ने लड़कियों के मां बनने और उनकी शादी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। केंद्र ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है | इस फोर्स की अध्यक्ष वरिष्ठ नेता जया जेटली होगी।
सरकार ने जो टास्कफोर्स बना कर कदम उठाया है वो वर्षों पहले हो जाना चाहिए था | मोदी सरकार द्वारा बनाई गयी टास्क फोर्स का मुख्य काम इस बात की समीक्षा करना होगा कि शादी और मां बनने का महिलाओं और उनके बच्चे के स्वास्थ्य और पोषण से कितना संबंध होता है |
साथ ही माना जा रहा है कि केंद्र द्वारा गठित टास्कफोर्स लड़कियों के शादी की उम्र की समीक्षा भी करेगा | टास्क फोर्स से कहा गया है कि वे लड़कियों के बीच हायर एजुकेशन को और बढ़ावा दने का सुझाव भी दें | सरकार द्वारा बनाई गयी टास्क फाॅर्स की रिपोर्ट 31 जुलाई को आएगी |
Written By – Om Sethi
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