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इस 23 साल के युवक ने शुरू किया अद्भुत स्टार्टअप, प्लास्टिक की बेकार थैलियों से बनाता है जूते

भारत में लोगों के पास कला की कमी नहीं है। सभी के अंदर कोई ना कोई टेक्निक कूट-कूट कर भरी हुई है। जिसके चलते वह कई बार ऐसे ऐसे काम कर देते हैं जिसको देखकर सभी अचंभे रह जाते हैं। हम चाहते हैं कि प्लास्टिक की थैलियां किस काम आते हैं या जीवन के एक जरूरी हिस्सा तो जरूर है। हम इसे अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल भी करते हैं। लेकिन यूज करने के बाद हम इसे फेंक देते हैं।
लेकिन  यह पर्यावरण को भी बहुत नुकसान पहुंचाती है।

स्कूल की किताबों में भी बहुत बार पढ़ा होगा कि प्लास्टिक का कचरा पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाता है। इसके बाद भी हम छोटी छोटी चीजों के लिए प्लास्टिक की पॉलीथिन का इस्तेमाल करते हैं। इस पर रोक लगाने के लिए प्रशासन ने भी कई बार कदम उठाए हैं। लेकिन उसका कोई फायदा नहीं होगा।

इस 23 साल के युवक ने शुरू किया अद्भुत स्टार्टअप, प्लास्टिक की बेकार थैलियों से बनाता है जूतेइस 23 साल के युवक ने शुरू किया अद्भुत स्टार्टअप, प्लास्टिक की बेकार थैलियों से बनाता है जूते

कुछ लोग समझते हैं कि, यह गलत है तो इसके ख़िलाफ़ क़दम उठाते हैं क्योंकि पर्यावरण को बचाना भी बहुत जरूरी है। और इसकी जिम्मेवारी हमें ही लेनी है। इस क्रम में एक युवा ने प्लास्टिक से कुछ ऐसा काम किया जिसकी हर कोई प्रशंसा कर रहा है।

पर्यावरण को प्लास्टिक से मुक्ति दिलाने के लिए एक भारतीय युवा ने मुहिम शुरू की है। युवा का नाम आशय भावे है। उसकी उम्र मात्र 23 साल है। उसने जुलाई 2021 में अपनी कंपनी थैली की शुरुआत कर दी। थैली कंपनी का दावा है कि वह 10 प्लास्टिक की थैलियों और 12 प्लास्टिक की बोतलों से 1 जोड़ी जूता बना लेती है।

मीडिया प्लेटफॉर्म बिजनेस इंसाइडर को आशय भावे ने बताया कि उनका स्टार्टअप दुनिया भर में जूते सप्लाई करता है और पर्यावरण के साथ उन्हें भी मुनाफा हो रहा है। इसके चलते पर्यावरण से प्लास्टिक को कम किया जा सकता है। इसके जूते भी लोगों को बहुत पसंद आ रहे हैं आ रहे हैं।

जूते बनाने के लिए बेस्ट रिमूवल कंपनी ट्री टॉप टेक्नोलॉजी से प्लास्टिक की थैलियां बैग मंगाया जाता है। उसके बाद प्लास्टिक कचरे को गर्म पानी में धोया और सुखाया जाता है। हिटिंग टेक्निक से खैली खाली टैक्स बनाती है। यह ऐसे मेटेरियल है जो प्लास्टिक बैग से बना होता है  उसके बाद प्लास्टिक वेस्ट से जूते बनाए जाते हैं।

प्लास्टिक कचरे को नार्मल से दिखने वाले स्नेकर्स या जूते में तब्दील किया जाता है। कंपनी का दावा है कि कोई भी प्लास्टिक से बने जूते और साधारण जूतों में कोई फर्क नहीं होता ।जब तक उसे बनाया ना जाए ।एक और खास बात यह है कि थैली के जूतों के लगे होते हैं । जिसे मिट्टी में रोककर पेड़ लगाया जा सकता है।

देश के जाने-माने व्यवसाई आनंद महिंद्रा को इस युवक  का स्टार्टअप आइडिया बहुत ही पसंद आया और उन्हें इस काम की तारीफ करते हुए भी किया और फंडिंग देने की भी बात कही है।

इस कंपनी के शुरू होने से लोगों को रोजगार भी मिला है। इनकी जूते की फैक्ट्री में अभी 170 लोग काम करते है और तीन अलग-अलग कंपनियों के लिए जूते बनाते हैं। थैली हर हफ्ते 15 को जोड़ी जूते बना रही है। शू स्टार्टअप का एक अहम मकसद प्लास्टिक को रिसाइकल करना है।

Kunal Bhati

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