मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ‘ग्राम संरक्षक’ योजना के लिए आनलाइन पोर्टल लांच कर दिया है। इंटरा एचआरवाइ डाट जीओवी डाट इन (http://www.intrahry.gov.in) पर सरकार ने क्लास-वन अधिकारियों को रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा है। जिसके तहत प्रदेश सरकार क्लास-वन अधिकारियों को यह जिम्मा देगी।
इस काम के लिए अधिकारियों को खुद ही रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। हर अधिकारी को कम से कम एक गांव को गोद लेना होगा। यह संबंधित अधिकारी पर निर्भर करता है कि वे किस गांव को गोद लेता है। विकल्प नहीं देने वाले अधिकारियों के गांवों का फैसला सरकार करेगी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि गांव व वार्ड स्तर पर लोगों की समस्याओं के समाधान व गांवों में व्यवस्थागत व ढांचागत विकास के लिए ग्राम संरक्षक कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है। ग्राम संरक्षक बनने वाले अधिकारी गांवों के विकास के संबंध में मुख्य बिंदुओं को नोट कर उसकी जानकारी जिला प्रशासन व सरकार तक पहुंचाना सुनिश्चित करेंगे।
सीएम ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए क्लास-वन अधिकारियों से बातचीत की। कई अधिकारियों के साथ उन्होंने फोन पर भी संवाद किया। सीएम ने कहा कि प्रदेश सरकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय की अंत्योदय की भावना के साथ काम कर रही है। पिछले सात साल में जनहित में अनेक योजनाएं व कार्यक्रम शुरू किए हैं।
उक्त मामले में सीएम ने कार्यक्रम के तहत क्लास-वन के 14 अधिकारियों से बात की। इनमें एसीएस अनुराग रस्तोगी, कोसली में कार्यरत डा. भूपेश यादव, गुरुग्राम में कार्यरत डा. मोनिका, पानीपत थर्मल में कार्यकारी अभियंता आशीष ढुल, गुरुग्राम से डा. इंदु, होडल के एसडीएम वकील अहमद, प्रतिमा चौधरी, बृजलाल, करनाल से आजाद ङ्क्षसह, फतेहाबाद से शालिनी चेतल, मनोज कुमार, जयपाल, सिविल अस्पताल अंबाला में कार्यरत डा. पूजा गुप्ता व पंचकूला से हिमांशु गुप्ता शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक जिलास्तर पर ग्राम संरक्षक कार्यक्रम के नोडल अधिकारी अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) होंगे। सभी 22 जिलों में प्रशासनिक सचिव स्तर के अधिकारी को भी नोडल अधिकारी बनाया जाएगा। ये अधिकारी समय-समय पर सभी गतिविधियों की समीक्षा करेंगे तथा जो भी समस्याएं आएंगी उनका समाधान करेंगे। ग्राम संरक्षक द्वारा भेजे जाने वाले सुझावों को संबंधित विभागों को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजा जाएगा।
हालांकि अधिकारियों से पहले भी गांव गोद लेने के लिए कहा गया था, लेकिन तब यह अनिवार्य नहीं था और स्वेच्छा से कुछ अधिकारियों ने गांव गोद लिए तो अधिकतर ने नहीं लिए। लिहाजा, सरकार अब उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही दोनों तय करने जा रही है। हरियाणा में लगभग 6700 गांव और करीब दो हजार वार्ड हैं। अगर सभी प्रथम श्रेणी स्तर के अधिकारी एक-एक गांव व वार्ड के संरक्षक बनेंगे तो अधिकारियों की संख्या के हिसाब से हर गांव व वार्ड को कवर किया जा सकता है।
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