जैसा की आप सभी को पता ही है कि अगर बात करें हम लोगों की तो हम बहुत ही अच्छे अच्छे घरों और बहुमंजिला इमारतों में रहते हैं। हम अपने जीवन को बड़े शानदार तरीके से जीते हैं। बड़े-बड़े शहरों और मेट्रो सिटीज में बड़ी-बड़ी इमारतों में बने फ्लैट्स में कई इंसान पूरी सुविधाओं के साथ रहते हैं और अपना जीवन बड़े ही आलीशान तरीके से जीते हैं। उन्हें अपने जीवन जीने में कोई भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। वह अपनी हर सुख सुविधा का ध्यान रखते हुए अपना जीवन यापन करते हैं।
लेकिन अगर बात करें पक्षियों के तो उनके लिए कोई बिल्डिंग या फ्लाइट हमने अब तक नहीं देखा होगा। और कैसे यह अपना जीवन बिताते हैं यह हम सभी देखते हैं। यह पेड़ों में अपना घोंसला बनाकर अपना जीवन व्यतीत करते हैं। लेकिन आपको बता दें अब इन बेजुबान पक्षियों के लिए भी आशियाना बन गया है। आइए जानते हैं कहां पर बना है यह आशियाना।
पक्षियों के लिए यह आशियाना नागौर में बना है। नागौर राजस्थान में पड़ता है। यहां पर देश की पहली बहुमंजिला कबूतर शाला बनाई गई है। इस इमारत में पक्षियों के लिए 7 फ्लोर की बिल्डिंग तैयार की गई है। इस इमारत में अलग-अलग फ्लोर और फ्लैट्स बनाए गए हैं।
आपको बता दें, इस 7 मंजिला बिल्डिंग में अब लगभग 3000 पक्षियों के लिए आशियाना बनाया गया है। यहां इन जीवो के लिए 24 घंटे दाने और पानी की व्यवस्था रहेगी।
अगर मीडिया की मानें तो इस 65 फीट के सात मंजिला बर्ड हाउस को बहुत ही शानदार तरीके से बनाया गया है। इस बर्डहाउस को अजमेर के चंचल देवी बालचंद लुणावत ट्रस्ट द्वारा बनाया गया है। इस आशियाने को ₹800000 की लागत से तैयार किया गया है।
हाल ही में 26 जनवरी को जैन समाज के संत द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। इसके बाद इस कबूतर शाला में पक्षियों ने अपना आशियाना बनाना शुरू कर दिया है। इसका उद्घाटन 14 जनवरी 2014 को जैन संत रूप मुनि और विनय मुनि द्वारा किया गया था।
आपको बता दें, यहां नागौर में पीह गांव में पहले से एक कबूतर शाला चलाई जा रही थी। अब इसी कबूतर शाला में पक्षियों के लिए एक दूसरी 7 मंजिला इमारत बना दी गई है। इसको बनाने के लिए वर्धमान गुरु कमल कन्हैया विनय सेवा समिति पीह के लोगों और 20के आसपास युवाओं में शुरुआत की थी। इन सभी का कहना है कि यह सब जैन संत रूप मुनि की प्रेरणा से ही हो पाया है।
आपको बता दे, यह कबूतरशाला दो बीघा जमीन में बनाया गया है। इसमें जैन समाज के लोगो ने भी एक करोड़ रुपए भी लगे है। इस कबूतर शाला में एक बार भी बनाया गया है, जहां पर बच्चे खेलने के लिए आ सकते हैं।
आपको बता दें यहां पर एक प्रार्थना करने के लिए कमरा भी बनाया गया है। जहां पर बूढ़े बुजुर्ग सुबह-शाम कबूतरों को दाना डालने और पूजा भजन करने के लिए आते हैं। इसमें 400 पेड़ पौधे लगाए गए हैं, जिसमें से करीब 100 अशोक के पेड़ हैं।
इस कबूतर शाला में खाने पीने का विशेष ध्यान रखा जाता है। कबूतरों के लिए हर दिन 5 से 6 बोरी धान मुहैया कराया जाता है। सिर्फ धान में हर महीने लगभग ₹300000 खर्च किए जाते हैं। अब इस बर्ड हाउस के बनने के बाद पक्षियों के लिए दाना पानी की खेप भी लगेगी।
आपको बता दें, इस कबूतर शाला में ट्रस्ट के माध्यम से पैसा खर्च किया जाता है। जिसे बैंक अकाउंट में एफडी के तौर पर जमा किया जाता है। अभी तक इस अकाउंट में ₹5000000 जमा हो चुके हैं।
आपको बता दे, खास बात यह है कि इस एफडी की मूल राशि खर्च नहीं की जाती है। बल्कि बैंक से मिलने वाला ब्याज इस कबूतर शाला के लिए खर्च किया जाता है।
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