कहते हैं जन्म और मृत्यु ऊपर वाले के हाथ में होता हैं, और यही कारण है कि जन्म और मृत्यु के समय सर्वप्रथम भगवान को याद किया जाता है। मगर धरातल पर भी भगवान के स्वरूप सफेद कपड़ों में ऐसा व्यक्तित्व मौजूद होता है जिसे भगवान जितना ही स्रोत माना जाता है। दरअसल या सफेद कपड़ो से अर्थ डॉक्टर्स से हैं। दरअसल, हरियाणा के भिवानी में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसे देख हर कोई डॉक्टर को भगवान का दर्जा दे रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, हरियाणा के भिवानी में भारतीय सेना के जवान बलराम के घर 18 दिन पहले घर में बेटी ( भाग्यशाली) का जन्म हुआ था। दरअसल, भाग्यशाली को किस्मत उसके नाम से एकदम अलग थी, क्योंकि डेढ़ दिन बाद ही उसके दिमाग की नश फट गए और हालत गंभीर हो गई। आनन फानन में परिजन उसको तुरंत हिसार के आठ निजी और सरकारी अस्पतालों में भी लेकर गए जहां हालत में सुधार न कर सका। इसके बाद परिजन उसे नागरिक अस्पताल लेकर पहुंचे। सिविल सर्जन डॉ. रघुबीर शांडिल्य के अटल विश्वास और चिकित्सकों की मेहनत ने उसका भाग्य फिर से जाग दिया और वह भाग्यशाली हो गई।
दिन-प्रतिदिन बच्ची के स्वास्थ्य में सुधार हुआ और वह धीरे-धीरे मुस्कुराने लगी। बच्ची की मुस्कान देख परिजनों की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। पिछले दो-तीन दिन से बच्ची ने दूध पीना शुरू कर दिया, जिसके बाद शनिवार को परिजन उसे अस्पताल से छुट्टी दिलाकर घर ले गए। हर कोई सिविल सर्जन और बाल रोग विशेषज्ञ का शुक्रिया अदा कर रहा था कि उनके अथक प्रयास से एक मां को फिर से उसकी बेटी मिली है।
राष्ट्रपति पुरस्कार अवॉर्डी अशोक भारद्वाज ने बताया कि उसका भाई मुकेश दिव्यांग है। जिसका बेटा बलराम भारतीय सेना में सेवारत है। बलराम की पत्नी मोनिका ने 12 जनवरी को महेंद्रगढ़ के निजी अस्पताल में बेटी को जन्म दिया। डेढ़ दिन बाद अचानक ही भाग्यशाली की तबीयत खराब हो गई। परिजनों ने उसके भिवानी और हिसार के आठ अस्पतालों में जांच करवाई मगर उसका उपचार नहीं कर सका।
हिसार के एक निजी अस्पताल से जब परिजन उसे लेकर घर जा रहे थे तो अचानक ही भाग्यशाली का दिल धड़कना शुरू हो गया। इसके बाद अशोक भारद्वाज ने सिविल सर्जन डॉ. रघुबीर शांडिल्य और उप सिविल सर्जन डॉ. कृष्ण कुमार ने फोन पर संपर्क किया, जिन्होंने उसे बच्चे के उपचार का उचित आश्वासन दिया। परिजनों ने 14 जनवरी को उपचार के लिए बच्ची को नागरिक अस्पताल के नीकू आईसीयू में दाखिल किया। जहां बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रिटा सिसोसिया ने टीम सहित बच्ची का उपचार किया और उसे नया जीवन दान दिया।